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अंडरपास अधूरा छोड़ ठेकेदार ले उड़े भुगतान
एस• के • मित्तल
सफीदों, उत्तर रेलवे ने जींद-पानीपत-रोहतक रेल शाखा के शीलाखेड़ी हाल्ट के समीप, यहां से 5 किलोमीटर दूर एक अंडरपास बनाया है। स्थिति यह है कि अंडरपास अभी अधूरा है और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया है। रेल अंडरपास के कवर शेड पर मेटल की चद्दरें लगाने का काम भी अधूरा है और जहां चद्दरें लगाई गई थी उनमें कुछ चद्दरें शेड से टूटकर गिरने लगी हैं। जिनमें अनेक आधी टूटकर लटक रही हैं। ऐसे में शेड के नीचे से गुजरने या बारिश से बचने को शेड के नीचे शरण लेने वाले व्यक्ति के साथ कोई भी हादसा हो सकता है। रेल अंडरपास की साइड की दीवारों से बाहर के खेतों का पानी लीक होकर अंडरपास में आने लगता है और बारिश होने पर इसमें पानी भर जाता है
जो महीनों तक आवागमन को पूरी तरह से बाधित कर देता है। यह रेल अंडरपास पहली दृष्टि में ही अधूरा है जबकि इसका भुगतान, जो पानीपत के सम्बंधित विभागीय इंजीनियर ओपी नागपाल ने करीब 2 करोड़ बताया है, उन्हीं के अनुसार, ठेकेदार को बहुत पहले भुगतान किया जा चुका है। नागपाल को इसकी सही लागत भी मालूम नहीं। वह कहते हैं कि उनसे पहले के अधिकारी आरडी कल्याण के समय मे यह बना था, सही लागत भी वही बता सकते हैं। आश्चर्य तो इस बात का है कि नागपाल की दृष्टि में यह अंडरपास कंप्लीट हो चुका है और इसे रेल विभाग द्वारा टेकओवर करके ठेकेदार को भुगतान किया जा चुका है जबकि मौके पर इसका बहुत काम बाकी है।
इस बारे नागपाल ने शुक्रवार को बताया कि एक भूमालिक ने रेल व स्टेट के खिलाफ अदालत में मामला दायर किया हुआ है। उसके निपटान के बाद काम पूरा कर देंगे। गुणवत्ता बारे उंन्होने कहा कि यह उनके समय मे नहीं बना। इसके रास्ते से जुड़े गांवों बहादुरगढ़, रोझला, हाट, बुटानी, सिंघाना, मुवाना के अनेक लोगों में इस बात को लेकर रोष है कि सम्बंधित अधिकारियों ने आंख मूंदकर इसका भुगतान कर दिया और वे लोगों की समस्या पर गौर नहीं कर रहे हैं। इनकी मांग है कि अंडरपास के काम को पूरा किया जाए वरना वे रेल मंत्री को इसकी शिकायत करेंगे।
सम्बंधित अधिकारियों से सही जानकारी न मिलने से खफा एक ग्रामीण ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत इस बारे जानकारी विभाग से मांगी है।
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