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एस• के• मित्तल
सफीदों, वर्तमान में देश में दी जा रही शिक्षा व संस्कार व्यक्ति से व्यक्ति को तोड़ने का जरिया होकर रह गए हैं जिसके कारण इस व्यवस्था में मनुष्य केवल शरीर ही होकर रह गया है जिसका लक्ष्य खुद की खातिर धन व शौहरत के लिए ज्यादा से ज्यादा साधन जुटाना ही है। आज यह बात व्यक्ति को व्यक्ति व प्रकृति से जोड़ने की दिशा में समर्पित भारत स्वराज मंच के प्रतिनिधि सत्यप्रकाश भारत ने कही। वह सफीदों क्षेत्र में प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने बारे बात कर रहे थे।
सफीदों, वर्तमान में देश में दी जा रही शिक्षा व संस्कार व्यक्ति से व्यक्ति को तोड़ने का जरिया होकर रह गए हैं जिसके कारण इस व्यवस्था में मनुष्य केवल शरीर ही होकर रह गया है जिसका लक्ष्य खुद की खातिर धन व शौहरत के लिए ज्यादा से ज्यादा साधन जुटाना ही है। आज यह बात व्यक्ति को व्यक्ति व प्रकृति से जोड़ने की दिशा में समर्पित भारत स्वराज मंच के प्रतिनिधि सत्यप्रकाश भारत ने कही। वह सफीदों क्षेत्र में प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने बारे बात कर रहे थे।
उन्होने बताया कि इस बात पर देशभर में गंभीर मंथन हो रहा है कि व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ते हुए प्रकृति के प्रति समर्पित हो समस्त सृष्टि को सुखदाई माहौल देने की दिशा में क्या किया जाए। सत्यप्रकाश ने बताया कि उनके पदविहीन मंच से जुड़े देशभर के 5 दर्जन से अधिक बुद्धिजीवी लोग इस दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होने बताया कि इसी विषय को लेकर आगामी 24 से 26 अगस्त तक भिवानी के निंबड़ीवाली गांव के महर्षि दयानंद प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र परिसर में देश के 50 चुनिंदा बुद्धिजीवी गम्भीरता से विचार विमर्श करेंगे कि व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़कर परस्पर सहानुभूति व समर्पण का माहौल बनाने को क्या किया जा सकता है।
मंच प्रतिनिधि ने बताया कि इन बुद्धिजीवियों में शिक्षा व व्यवस्था की उच्च श्रेणी के अनुभवी लोग हैं जो निहित स्वार्थों को पूरी तरह से तिलांजलि देकर समाज मे वास्तविक मूल्य स्थापित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
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