राष्ट्रीय लोक अदालत में हुआ 5123 केसो का निपटारा : सीजेएम सुश्री रेखा

 

एस• के• मित्तल
जीन्द, शनिवार को कोर्ट परिसर में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में अलग-अलग तरह के 5123 केसों का निपटारा हुआ। लोक अदालतों में 139638384 रुपए से ज्यादा की राशि सेटेलमेंट हुई। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव सुश्री रेखा ने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एवं हालसा के कार्यकारी अध्यक्ष श्री ए• जी• मसीह के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय लोक अदालत लगाई गई। इसमें सिविल, अपराधिक, वैवाहिक, चैक बाऊन्स, मोटर व्हीकल दुर्घटना, मोटर व्हीकल चालान, प्री- लिटीगेटिव, बैंक लोन और बैंक वसूली मामलों का आपसी सहमति से निपटान किया तथा एडीआर सेण्टर पर कार्यरत स्थाई लोक अदालत के मामलों का निपटारा आपसी सहमति से सौहार्दपूर्ण ढंग से किया गया।

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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी सुश्री रेखा ने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की चेयरपर्सन एवं जिला एवं सत्र न्यायधीश श्रीमति रितु गर्ग के मार्ग दर्शन में जिला मुख्यालय व उपमण्डल स्तर पर विवादों के समाधान के लिए 7 बैंच स्थापित किये गये। इस लोक अदालत में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश जे• एस• सिन्धु व अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश डाॅ• परमिन्द्र कौर, अतिरिक्त सिविल जज (सीनियर डीविजन) श्रीमति निशा, न्यायिक दण्डाधिकारी श्री सचिन कुमार, सफीदो उपमंडल में न्यायिक दण्डाधिकारी श्रीमति सारिका, नरवाना उपमंडल में न्यायिक दण्डाधिकारी श्री विशाल तथा स्थाई लोक अदालत में स्थाई लोक अदालत के चैयरमैन श्री जरनैल सिंह द्वारा लगाई गई। राष्ट्रीय लोक अदालत में 10760 मामलों को निपटान हेतु रखा गया

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जिनमें से 5123 मामलों का निपटारा किया गया। इनमें कुल 139638384 रुपये की राशि का निपटान किया गया। प्राधिकरण सचिव ने कहा कि लोक अदालत से लोगों को त्वरित न्याय मिलता है और दोनों पक्षों की आपसी सहमति से केसों का निपटारा होने से आपस में किसी तरह की दुर्भावना भी नहीं रहती। लोक अदालत के मौके पर सीजेएम सुश्री रेखा ने कहा कि बिना अतिरिक्त लागत और शुल्क के त्वरित और अन्तिम न्याय केवल लोक अदालतों में मिलता है। इसका ज्यादा से ज्यादा लोगों को फायदा उठाना चाहिए।

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लोक अदालतें न केवल लम्बित विवादों को सुलझाती है बल्कि यह सामाजिक सद्‌भाव को भी सुनिश्चित करती है। इनमें दोनों पक्षों की आपसी सहमति से विवादों का निपटारा होता है। अदालतों में बीड-भाड और केसों की संख्या कम करने में भी लोक अदालतों की अहम भूमिका है।

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