- हरियाणा के पंचायत चुनाव में आधी आबादी पुरुषों पर हावी दिखाई दे रही है। पंच-सरपंचों के पदों पर पुरुषों के चुने गए प्रत्याशियों को महिलाएं नकार रही हैं। खुद बैठक कर आरक्षित सीटों पर प्रत्याशी चुन रही हैं। महिलाओं का कहना है कि गांव के विकास में हमारा योगदान ज्यादा है इसलिए प्रत्याशी चुनने का पहला अधिकार भी हमें ही मिलना चाहिए।
सोनीपत में आया पहला मामला
हरियाणा के सोनीपत जिले के रिढाऊ गांव में ऐसा पहला मामला आया है। यहां की अनुसूचित जाति की महिलाओं ने गांव की चौपाल में पंचायत बुलाकर पुरुषों के तय प्रत्याशी को नकार दिया। महिलाओं ने नाराजगी जताई कि जब महिलाओं के लिए सीट आरक्षित है तो पुरुष इस पर प्रत्याशी कैसे तय कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने सर्वसम्मति से अपने प्रत्याशी का नाम घोषित कर दिया।
अब ऐसा नहीं चलेगा
पंचायत में महिलाओं ने कहा कि अब ऐसा नहीं चलेगा। महिलाएं अपने अधिकारों को पहचान चुकी हैं। साथ ही वह यह भी जानती हैं कि सरपंच चुनने के दौरान पुरुषों ने जो फैसला लिया है उसमें महिलाओं के अधिकारों का हनन हुआ है। महिलाओं ने एक स्वर में कहा कि ये पद हमारा है। हम ही इसके लिए फैसला लेंगे। सहमति बनती है तो ठीक है नहीं तो फिर वोट देकर जिता देंगे।
पीने का पानी तक देती हैं महिलाएं
चौपाल में पंचायत के दौरान गांव की जागरूक महिलाओं ने कहा कि उनके काम पुरुषों की अपेक्षा गांव के प्रति ज्यादा हैं। महिलाएं गांव में पीने के पानी की व्यवस्था तक कर रही हैं। सिलाई सेंटर की बात हो या गांव की अन्य जरूरतों की सभी महिलाओं की सहभागिता पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा है।
पहली बार पुरुषों की पंचायत का विरोध
हरियाणा में पुरुषों की पंचायत का यह पहली बार विरोध हुआ है। यह एक ऐसा संदेश है कि जब शहरों के बाद गांवों में आधी आबादी अपने अधिकारों के प्रति आवाज उठा रही है। महिला अधिकारों के विशेषज्ञों का कहना है कि हरियाणा के लिए यह अच्छे संकेत हैं। महिलाओं का यह फैसला देश भर में नजीर बन सकता है।
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