एस• के• मित्तल
सफीदों, पांचवें सर्पदमन नाट्य उत्सव में दूसरा आदमी दूसरी औरत नामक नाटक की प्रस्तुति की गई। इस कार्यक्रम के बतौर मुख्यातिथि शिक्षाविद् एवं समाजसेवी नरेश सिंह बराड़ व विशिष्टातिथि समाजसेविका गीतांजली कंसल ने शिरकत की। प्रस्तुत नाटक में बताया गया कि स्त्री व पुरुष जो एक ही दफ्तर में साथ काम करते हैं।
भावनात्मक सहारे की कमी और अकेलापन दोनों पात्रों को आपस में जोड़ता है। नाटक में शारीरिक संबंध और सेक्स के प्रति समाज की सोच को दर्शाता गया। देह को मन की तुलना में इतना ऊपर कर दिया गया है कि मन की शुचिता के बदले हम केवल तन की शुद्धता पर केंद्रित हो गए हैं कि शरीर हमारे मन के भावों के साथ-साथ प्रेम की, अभिव्यक्ति का माध्यम है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं की देह इतनी महत्वपूर्ण हो जाए की मन और समाज हमसे छूटने लगे। नाटक संबंधों के अंतर्सघर्ष को दर्शाता है।
नाटक के द्वारा दर्शकों को रिश्तो में अपेक्षाओं के अपूर्ण रहने पर बोझिल होने के पश्चात रिश्तो को खत्म करने या फिर रिश्तो को नया रुख देने का प्यारा संदेश दिया गया। इस मौके पर डा. रुचि भारद्वाज व अरविंद शर्मा विशेष रूप से मौजूद थे।
स्वयंसेवकों ने नुक्कड़ नाटक पेश करके लोगों को बुराईयों के खिलाफ किया जागरूकता