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नई दिल्ली45 मिनट पहले
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मणिपुर सरकार ने कहा है कि वह परीक्षा देने के लिए उम्मीदवारों को ट्रैवल एक्सपेंस देने को तैयार है।
मणिपुर सरकार 2024 में होने वाली UPSC की परीक्षा को अपने राज्य के बाहर करवाना चाहती है। मंगलवार को सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि वह 26 मई को होने वाली UPSC प्री की परीक्षा को राज्य से बाहर रखने के पक्ष में है।
मणिपुर सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि मुख्य सचिव ने कहा है कि सरकार परीक्षा देने के लिए उम्मीदवारों को ट्रैवल एक्सपेंस की सहायता प्रदान करेगी।
2023 में मणिपुर में हिंसा की स्थिति बन गई थी
दरअसल, मई 2023 में हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद मणिपुर में हिंसा की स्थिति बन गई थी, जिसमें राज्य सरकार को गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया गया था। राज्य में माहौल अभी भी पूरी तरह शांत नहीं हुआ है।
कोर्ट ने UPSC अधिकारियों को निर्देश लेने के लिए कहा
मणिपुर अधिकारियों के इस प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन का कहना है कि पिछले साल की तरह एग्जाम राज्य के बाहर आयोजित किया जा सकता है। कोर्ट ने UPSC अधिकारियों को भी निर्देश लेने को कहा।
जोमी स्टूडेंट्स फेडरेशन ने भी पिछले हफ्ते हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। जिसमें राज्य में चुराचांदपुर और कांगपोकपी में परीक्षा केंद्र स्थापित करने को कहा था। साथ ही सिविल सर्विसेज के उम्मीदवारों को अपनी पसंद का केंद्र चुनने में सक्षम बनाने के लिए आवेदन विंडो को फिर से खोलने की मांग की गई थी।
आर्थिक मदद भी करेगी सरकार
मणिपुर सरकार के वकील ने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव ने उन्हें एक पत्र लिखा था। जिसमें राज्य सरकार की राय है कि स्थिति को देखते हुए और परीक्षा की गरिमा बनाए रखने के लिए राज्य के बाहर सेंटर होना चाहिए। पत्र में सुझाव दिया गया है कि मणिपुर में जिन छात्रों को सिविल सेवा परीक्षा देनी है, उन्हें राज्य के बाहर केंद्र दिया जाए और उन्हें फाइनेंशियल असिस्टेंस भी दी जाए।
तीन पत्र लिखने के बाद भी नहीं मिला कोई जवाब
यूपीएससी के वकील ने पहले कोर्ट को बताया था कि आयोग चुराचांदपुर, कांगपोकपी और उखरुल में परीक्षा केंद्र खोलने के संबंध में मणिपुर के मुख्य सचिव को पहले ही तीन पत्र लिख चुका है, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
राज्य में 2023 में कोर्ट के आदेश के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा हो गई थी। इसमें 160 से अधिक लोग मारे गए थे और कई सौ घायल हुए हैं। इस विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी।
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