नई दिल्ली12 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग मामलों में की गई कार्रवाई पर राज्यों से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 17 अप्रैल को मॉब लिंचिंग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि घटनाओं को धर्म के आधार पर नहीं देखा जाना चाहिए। दरअसल, कोर्ट के पूछने पर याचिकाकर्ता ने बताया था कि याचिका में उदयपुर के कन्हैया लाल हत्याकांड का जिक्र नहीं है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में सिलेक्टिव मत बनिए, क्योंकि यह मामला सभी राज्यों से जुड़ा है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कई राज्यों से मॉब लिंचिंग मामलों में उनकी कार्रवाई पर 6 हफ्ते में जवाब भी मांगा है। अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की गर्मियों की छुट्टियों के बाद होगी।
28 जून 2022 को पैगंबर मोहम्मद को लेकर भाजपा प्रवक्ता की पोस्ट शेयर करने को लेकर दो लोगों ने उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की गला काटकर हत्या कर दी थी।
मॉब लिंचिंग को लेकर नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन (NFIW) ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में अल्पसंख्यकों के खिलाफ भीड़ की हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी पर चिंता जताई गई थी। साथ ही मॉब लिंचिंग में जान गंवाने वाले पीड़ितों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की गई थी।
वकील निजाम पाशा ने कोर्ट में याचिकाकर्ता का पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान पाशा ने कहा कि मध्य प्रदेश में मॉब लिंचिंग की घटना हुई थी, लेकिन पीड़ितों के खिलाफ गोहत्या की एफआईआर दर्ज की गई। अगर राज्य सरकार मॉब लिंचिंग की घटना से ऐसे ही इनकार करती रही तो 2018 के तहसीन पूनावाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन कैसे होगा।
पूनावाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को भीड़ खासकर गौरक्षकों द्वारा हत्या की घटनाओं की जांच करने के लिए कई निर्देश जारी किए थे। कोर्ट ने आदेश में राज्य सरकार को पीड़ितों को 1 महीने के अंदर मुआवजा देने का निर्देश दिया था।
कोर्ट रूम लाइव-
जस्टिस अरविंद कुमार: क्या याचिका में उदयपुर में कन्हैया कुमार की मॉब लिंचिंग की घटना का जिक्र है?
एडवोकेट पाशा: मुझे नहीं लगता कि हमने उस घटना का जिक्र किया है, हम इसकी जांच करेंगे।
जस्टिस अरविंद कुमार: आप मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर सिलेक्टिव तो नहीं हो रहे।
एडवोकेट पाशा: बिल्कुल नहीं, माई लॉर्ड। मैं जांच करूंगा और अगर जिक्र नहीं किया गया है तो उस घटना का भी उल्लेख करूंगा।
एडवोकेट अर्चना पाठक दवे (एक राज्य की ओर से पेश वकील): याचिका में कहा गया है कि मुस्लिमों की भीड़ द्वारा हत्या की जाती है। किसी दूसरे धर्म के लोगों की हत्या का कोई उल्लेख नहीं है।
एडवोकेट पाशा: यह समाज की वास्तविकता है और विशेष समुदायों के खिलाफ घटनाओं को कोर्ट के सामने लाया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट (अर्चना पाठक से): आप कोर्ट में ऐसी दलील देने से बचें। धर्म के आधार पर घटनाओं पर ध्यान न दें। हमें बड़े कारण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
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