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नई दिल्ली8 मिनट पहले
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मद्रास हाईकोर्ट ने 21 दिसंबर 2023 को आय से ज्यादा प्रॉपर्टी मामले में तमिलनाडु के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी और उनकी पत्नी को 3 साल की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को DMK नेता पोनमुडी को दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने पर तमिलनाडु के गवर्नर आरएन रवि को फटकार लगाई।
कोर्ट ने पूछा तमिलनाडु के राज्यपाल कैसे कह सकते हैं कि DMK नेता पोनमुडी का राज्य मंत्रिमंडल में दोबारा शामिल होना संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ होगा।
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- हम आरएन रवि के आचरण को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं। वे कोर्ट की अवहेलना कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल आरएन रवि को शुक्रवार तक फैसला करने को कहा है।
तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल के फैसले के खिलाफ याचिका लगाई थी
तमिलनाडु सरकार की तरफ से लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए CJI ने कहा- हम राज्यपाल के आचरण को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं, हम इसे अदालत में जोर से नहीं कहना चाहते थे लेकिन हम मजबूर हैं।
वह (राज्यपाल) भारत के सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना कर रहे हैं। जब भारत का सर्वोच्च न्यायालय किसी दोषसिद्धि पर रोक लगाता है, तो राज्यपाल को यह कहने का कोई अधिकार नहीं है कि उसे मंत्री नहीं बनाया जा सकता।
अब जानें क्या है पूरा मामला…
मद्रास हाईकोर्ट ने 21 दिसंबर 2023 को आय से ज्यादा प्रॉपर्टी मामले में तमिलनाडु के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी और उनकी पत्नी को 3 साल की सजा सुनाई। कोर्ट ने दोनों के खिलाफ 50-50 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। दोनों 1.75 करोड़ रुपए की आय से ज्यादा प्रॉपर्टी मामले में दोषी पाए गए थे।
मामले में कोर्ट का फैसला आने के बाद के पोनमुडी विधायक पद के लिए अयोग्य हो गए हैं। साथ ही उन्होंने मंत्री पद भी खो दिया। मामले में कोर्ट का फैसला आने से पहले तक वे उच्च शिक्षा मंत्री थे।
कोर्ट ने सरेंडर के लिए 30 दिन का समय दिया
हाईकोर्ट की ओर से फैसला सुनाए जाने के बाद आरोपियों के वकील एनआर एलांगो ने अपील की, मेरे मुवक्किल की सजा 30 दिन के लिए निलंबित की जाए। जिससे वो सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकें। हाईकोर्ट ने उनकी अपील को स्वीकार कर ली थी। साथ ही यह भी कहा कि निलंबन का समय पूरा होने के बाद उन्हें विल्लुपुरम में ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण करना होगा।
मार्च 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगाई
तमिलनाडु सरकार ने बाद में पोनमुडी की सजा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने 11 मार्च को सुनवाई करते हुए सजा पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट की ओर से पोनमुडी की दोषसिद्धी को निलंबित करने के बाद राज्य सरकार ने उन्हें विधायक के रूप में बहाल कर दिया लेकिन राज्यपाल ने उन्हें मंत्री पद की शपथ नहीं दिलवाई। राज्यपाल का कहना था कि, पोनमुडी की सजा सिर्फ निलंबित की गई है, रद्द नहीं।
2002 में दर्ज हुआ था केस, 2016 में सेशन कोर्ट ने बरी कर दिया था
साल 2002 में विजिलेंस और एंटी करप्शन डायरेक्टोरेट (DVAC) ने के पोनमुडी और उनकी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज किया था। तब राज्य में AIADMK की सरकार थी, DVAC का दावा था कि के पोनमुडी ने साल 1996-2001 तक राज्य सरकार में मंत्री पद पर रहने के दौरान अवैध प्रॉपर्टी बनाई।
सेशन कोर्ट ने 2016 में इस मामले में के पोनमुडी और उनकी पत्नी को सबूतों का अभाव होने के चलते बरी कर दिया था। 19 दिसंबर को कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए दोनों को दोषी करार दिया था।
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