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नई दिल्ली7 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (18 मार्च) को SBI से कहा कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी हर जानकारी 21 मार्च तक दे। सुप्रीम कोर्ट ने नए आदेश में उन यूनीक बॉन्ड नंबर्स के खुलासे का भी आदेश दिया, जिनके जरिए बॉन्ड खरीदने वाले और फंड पाने वाली राजनीतिक पार्टी का लिंक पता चलता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 21 मार्च की शाम 5 बजे तक SBI के चेयरमैन एक एफिडेविट भी दाखिल करें कि उन्होंने सारी जानकारी दे दी है। CJI चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि SBI जानकारियों का खुलासा करते वक्त सिलेक्टिव नहीं हो सकता। इसके लिए आप हमारे आदेश का इंतजार न करें। SBI चाहती है हम ही उसे बताएं किसका खुलासा करना है, तब वे बताएंगे। ये रवैया सही नहीं है।
इससे पहले बेंच ने 11 मार्च के फैसले में SBI को बॉन्ड की पूरी डिटेल देने का निर्देश दिया था। हालांकि, SBI ने सिर्फ बॉन्ड खरीदने और कैश कराने वालों की जानकारी दी। इस बात का खुलासा नहीं किया गया था कि किस डोनर ने किस राजनीतिक पार्टी को कितना चंदा दिया। इसके बाद कोर्ट ने 16 मार्च को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को नोटिस देकर 18 मार्च तक जवाब मांगा था।
16 मार्च की सुनवाई में CJI और एड्वोकेट के बीच हुई बहस
16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में उन याचिकाओं पर सुनवाई हुई, जिनमें तर्क दिया गया कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने कोर्ट के फैसले के बाद अधूरा डेटा दिया। इस दौरान एड्वोकेट मैथ्यूज नेदुमपरा और CJI डीवाई चंद्रचूड़ के तीखी बहस देखने को मिली।
सुनवाई के दौरान नेदुमपरा ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड मामला बिल्कुल भी न्यायसंगत मुद्दा नहीं था। यह एक नीतिगत मामला था और इसमें अदालतों का दखल नहीं था। इसीलिए लोगों को लगता है कि यह फैसला उनकी पीठ पीछे दिया गया।
जब नेदुमपरा बोल रहे थे तो CJI ने उनसे रुककर सुनने के लिए कहा, लेकिन नेदुमपरा ने कहा कि मैं इस देश का नागरिक हूं। इस पर CJI ने कहा, “एक सेकंड, मुझ पर चिल्लाओ मत। नेदुमपरा ने जवाब दिया, “नहीं, नहीं, मैं बहुत नरम हूं।”
इस पर CJI ने कहा, “यह हाइड पार्क कॉर्नर की बैठक नहीं है, आप अदालत में हैं। आप एक आवेदन दायर करना चाहते हैं, आवेदन दायर करें। आपको CJI के रूप में मेरा निर्णय मिल गया है, हम आपकी बात नहीं सुन रहे हैं। यदि आप एक आवेदन दायर करना चाहते हैं तो इसे ईमेल पर ट्रांसफर करें। इस अदालत में यही नियम है।” पूरी खबर यहां पढ़ें…
कांग्रेस बोली- इलेक्टोरल बॉन्ड PM की हफ्ता वसूली योजना
कांग्रेस ने सोमवार (18 मार्च) को मोदी सरकार पर हफ्ता वसूली का आरोप लगाया। कांग्रेस ने इसे पीएम हफ्ता वसूली योजना नाम दिया है। कांग्रेस ने दावा किया कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए दान देने वालों में 21 फर्म ऐसी हैं, जिन्होंने CBI, ED या इंकम टैक्स की जांच का सामना किया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि हर दिन चुनावी बॉन्ड घोटाले का सच सामने आ रहा है। इलेक्टोरल बॉन्ड स्कैम कितना बड़ा है यह लगातार स्पष्ट होता जा रहा है। आज, हम इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले में भ्रष्टाचार के चार तरीकों में से दूसरे, प्रधानमंत्री हफ्ता वसूली योजना पर फोकस कर रहे हैं-
- 10 नवंबर 2022 को ED ने दिल्ली सरकार की शराब नीति में गड़बड़ियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में अरबिंदो फार्मा के निदेशक पी सरथ चंद्र रेड्डी को गिरफ्तार किया। पांच दिन बाद 15 नवंबर को अरबिंदो फार्मा ने इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में 5 करोड़ रुपए दान किए।
- नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड ने अक्टूबर 2018 में इनकम टैक्स के छापे के 6 महीने बाद अप्रैल 2019 में 30 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे।
- 7 दिसंबर 2023 के रामगढ़ में रूंगटा संस प्राइवेट लिमिटेड की 3 यूनिट पर आयकर विभाग ने छापा मारा। 11 जनवरी 2024 को कंपनी ने 1 करोड़ रुपए के 50 इलेक्टोरल बांड खरीदे। इससे पहले फर्म ने केवल अप्रैल 2021 में दान दिया था।
- हैदराबाद की शिरडी साईं इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड पर 20 दिसंबर 2023 को इनकम टैक्स का छापा पड़ा। 11 जनवरी 2024 को कंपनी ने 40 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बांड खरीदे।
- नवंबर 2023 में आयकर अधिकारियों ने कथित नकद लेनदेन के लिए रेड्डीज लैब्स के एक कर्मचारी के यहां छापा मारा। छापे के ठीक बाद कंपनी ने 31 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। इसके बाद इस कंपनी ने नवंबर 2023 में 21 करोड़ रुपए के और जनवरी 2024 में 10 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे, जो कुल मिलाकर 84 करोड़ रुपए होते हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें…
14 मार्च को SBI ने जारी की थी दो पेज की लिस्ट
आयोग ने इससे पहले 14 मार्च को 763 पेज की दो लिस्ट में अप्रैल 2019 के बाद खरीदे या कैश किए गए बॉन्ड की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड की थी। एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी, जबकि दूसरी में राजनीतिक दलों को मिले बॉन्ड की डिटेल थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर SBI ने 14 मार्च को बॉन्ड से जुड़ी जानकारी आयोग को दी थी।
इलेक्टोरल बॉन्ड्स से जुड़े केस में अब तक क्या हुआ…
- 15 मार्च 2024 : सुप्रीम कोर्ट ने SBI को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा कि 11 मार्च के फैसले में कहा गया था कि बॉन्ड की पूरी डिटेल दी जाए, लेकिन SBI ने यूनीक अल्फा न्यूमेरिक नंबर्स का खुलासा नहीं किया। बेंच ने कहा था कि SBI 18 मार्च तक नंबर की जानकारी नहीं दिए जाने का जवाब दे। पढ़ें पूरी खबर…
- 11 मार्च 2024 : इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने से जुड़े केस में SBI की याचिका पर 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी। SBI ने कोर्ट से कहा था- बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने में हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसके लिए कुछ समय चाहिए। इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा था- पिछली सुनवाई (15 फरवरी) से अब तक 26 दिनों में आपने क्या किया? पूरी खबर पढ़ें…
- 4 मार्च 2024 : SBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। इलेक्टोरल बॉन्ड्स की जानकारी देने के लिए 30 जून तक का वक्त मांगा था। इसके अलावा कोर्ट ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की उस याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें 6 मार्च तक जानकारी नहीं देने पर SBI के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की मांग की गई थी।
- 15 फरवरी 2024 : सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- यह स्कीम असंवैधानिक है। बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। पढ़ें पूरी खबर…
- 2 नवंबर 2023: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम केस में फैसला सुरक्षित रख लिया। हालांकि, अगली सुनवाई की तारीख नहीं बताई गई। कोर्ट ने पार्टियों को मिली फंडिंग का डेटा नहीं रखने पर चुनाव आयोग से नाराजगी जताई। साथ ही आयोग से राजनीतिक दलों को 30 सितंबर तक इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिली रकम की जानकारी जल्द से जल्द देने का निर्देश दिया है। पढ़ें पूरी खबर…
- 1 नवंबर 2023: सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड से राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता आई है। चंदा देने वाले नहीं चाहते कि उनके दान देने के बारे में दूसरी पार्टी को पता चले। इससे उनके प्रति दूसरी पार्टी की नाराजगी नहीं बढ़ेगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसी बात है तो फिर सत्ताधारी दल विपक्षियों के चंदे की जानकारी क्यों लेता है? विपक्ष क्यों नहीं ले सकता चंदे की जानकारी? पूरी खबर पढ़ें …
- 31 अक्टूबर 2023: प्रशांत भूषण ने दलीलें रखी थीं। उन्होंने कहा था कि ये बॉन्ड केवल रिश्वत हैं, जो सरकारी फैसलों को प्रभावित करते हैं। अगर किसी नागरिक को उम्मीदवारों, उनकी संपत्ति, उनके आपराधिक इतिहास के बारे में जानने का अधिकार है, तो उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि राजनीतिक दलों को कौन फंडिंग कर रहा है? पूरी खबर पढ़ें…
चुनावी बॉन्ड स्कीम क्या है
चुनावी या इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 2017 के बजट में उस वक्त के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश की थी। 2 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार ने इसे नोटिफाई किया। ये एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है। इसे बैंक नोट भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है।
विवादों में क्यों आई चुनावी बॉन्ड स्कीम
अरुण जेटली ने 2017 में इसे पेश करते वक्त दावा किया था कि इससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। ब्लैक मनी पर अंकुश लगेगा। वहीं, विरोध करने वालों का कहना था कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की जाती है, इससे ये चुनावों में काले धन के इस्तेमाल का जरिया बन सकते हैं।
बाद में योजना को 2017 में ही चुनौती दी गई, लेकिन सुनवाई 2019 में शुरू हुई। 12 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पॉलिटिकल पार्टियों को निर्देश दिया कि वे 30 मई, 2019 तक में एक लिफाफे में चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी चुनाव आयोग को दें। हालांकि, कोर्ट ने इस योजना पर रोक नहीं लगाई।
बाद में दिसंबर, 2019 में याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इस योजना पर रोक लगाने के लिए एक आवेदन दिया। इसमें मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया गया कि किस तरह चुनावी बॉन्ड योजना पर चुनाव आयोग और रिजर्व बैंक की चिंताओं को केंद्र सरकार ने दरकिनार किया था।
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