कहा : गुरु के कार्य को गुरुमुख ही फैलाता है
बैसाखी पर्व पर गांव अंटा स्थित राधास्वामी आश्रम में हुआ सत्संग
एस• के• मित्तल
सफीदों, राधास्वामी मत से जुड़ा हर जीव जानता है कि हमारे जीवन में बसंत पंचमी का क्या महत्व है। बसंत पंचमी के दिन ही स्वामी महाराज ने अपने गुरुमुख हुजूर राय सालिगराम महाराज के आग्रह पर आम सत्संग जारी किया था। गुरु और गुरुमुख में अंतर नहीं होता। दोनों एक जान होते हैं क्योंकि गुरु के कार्य को गुरुमुख ही फैलाता है। उक्त उद्गार परमसंत सतगुरु कंवर साहेब महाराज ने उपमंडल के गांव अंटा में स्थित राधास्वामी आश्रम में प्रकट किए। कंवर साहेब महाराज ने फरमाया कि परमात्मा तो अपने भक्तों के वश में होते हैं। कितनी ही शिक्षाएं और प्रसंग इस विषय में आपको मिल जाएंगे जब परमात्मा को उनके भक्तों ने साक्षात प्रकट होने को मजबूर कर दिया। ऐसा ही राय सालिगराम ने किया था। दुखी जीवों की तृप्ति के लिए हुजूर महाराज के आग्रह पर स्वामी महाराज ने उस गुप्त खजाने को उजागर कर दिया जो आदि अनादि काल से दबा हुआ था। राधास्वामी मत सूरत शब्द का योग है। ये कर्म योग है ध्यान योग है। इसमें प्रेम की प्रधानता है। हकीकत भी यही है कि प्रेम के बिना भक्ति संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती के पूजन का भी दिन है। इसके अलावा यह दिन प्रकृति के श्रृंगार का भी दिन है। जिस प्रकार इस दिन से प्राकृतिक छटा पुराना छोड़ कर नया स्वरूप धारण करती है वैसे ही संत सतगुरु भी जीव को पुराना छोड़कर नव संकल्प धारण करने का हेला देते हैं। उन्होंने कहा कि राधास्वामी मत को मानने वालो के लिए तो यही सबसे बड़ा दिन है क्योंकि इस दिन उनको सब विद्याओं में सर्वोत्तम परा विद्या का ज्ञान इसी दिन को मिला था। गुरु महाराज ने फरमाया कि संत किसी एक युग, एक समय एक काल में नहीं बंधे होते। वे तो जीव को काल जाल से मुक्त करने हर युग में और हर काल में नर देह लेकर प्रकट होते हैं। मनुष्य को हमेशा ज्ञान की तलब रही है लेकिन भक्ति ज्ञान सब ज्ञान से आला है। राधास्वामी नाम सब नामों में ऊंचा है क्योंकि ये नाम अमंगल को भी मंगल करता है। उन्होंने कहा कि जीव का कल्याण केवल राधास्वामी नाम ही कर सकता है। आप जिस का शरणा ले लेते हो वो आप पर कभी कोई कष्ट नहीं आने देता लेकिन शरणागत होना ही सबसे दुष्कर है। जो शिष्य गुरु को गुरु मान ले उसको कभी कोई तकलीफ नहीं हो सकती। तुम्हारी अगर बननी है तो गुरु से ही बनेगी। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मीरा बाई शरणागत हुई थी वैसे अगर आप हो जाओ तो जहर भी अमृत हो जाए। लेकिन कलिकाल में परमात्मा का सत्संग हर किसी को नहीं भाता। सत्संग में जाकर अपने कानों को, हृदय को और आंखों को खुला रखो। जिसके हृदय में विश्वास है उसके लिए परमात्मा हर समय हाजिर नाजिर रहता है। विश्वास उस गूजरी के जैसा करो जो पानी के ऊपर भी चल पड़ी। गूजरी ने जिस गुरु से नाम लिया था वो तो पानी में डूब गया लेकिन उसी गुरु से नाम लेकर उस पर विश्वास करके गूजरी पानी पर चल पड़ी। उन्होंने कहा कि अपनी कागा वृति त्याग दो हंस अपने आप बन जाओगे। यदि शिष्य पूर्ण है तो उसका कल्याण निश्चित है। आज धर्म भी है, कर्म भी है लेकिन शर्म नहीं है। भक्ति किताबो की मोहताज नहीं है। भक्त की सुगंध तो लाखो ताले भी नहीं रोक पाएंगे। भक्त को परमात्मा से मिलने से कोई नहीं रोक सकता। हनुमान जी ने पूरी लंका को जला कर राख कर दिया लेकिन राम नाम की रटना करने वाले विभीषण का घर नहीं जला। नाम में बड़ी शक्ति है और वही नाम आपको मिला है। राधास्वामी नाम आत्मा और परमात्मा के मिलन का योग करवाता है। राधास्वामी नाम आपको दीन हीन बनाकर आपके अंदर तप और त्याग का भाव जगाता है।