एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर के राजकीय महाविद्यालय में कला और संस्कृति से ओतप्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रम स्वर उत्सव का समापन हो गया। समापन सत्र की अध्यक्षता प्राचार्या डा. तनाशा हुड्डा ने की। प्राचार्या ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का आगाज किया।
कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने सोलो गायन व सोलो नृत्य की प्रस्तुति दी। हरियाणवी पारंपरिक और पश्चिमी सभ्यता का मिश्रण पॉप डांस की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम के समापन पर अतिथियों ने प्रतिभागी तन्नू, शीतल, तानिया, नरेश, आशू, सावन, रोहित, साहिल, संयम, रितेश, साहिल, अंकुश, सचिन, तीव्रता , सुखमन, अंजलि, बबीता, दिनेश, नेहा, मन्नू, मंजू, आरती व मौसम को सम्मानित किया। अपने संबोधन में प्राचार्या डा. तनाशा हुड्डा ने कहा कि किसी भी देश के विकास में कला का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
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विविधताओं का देश भारत अपनी विभिन्न संस्कृतियों के लिए जाना जाता है। भारत में गीत-संगीत, नृत्य, नाटक-कला, लोक परंपराओं, कला-प्रदर्शन, धार्मिक-संस्कारों एवं अनुष्ठानों, चित्रकारी एवं लेखन के क्षेत्रों में एक बहुत बड़ा संग्रह मौजूद है जो मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में जाना जाता है।
बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ कला व संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों भी बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए। इस मौके पर प्रोफेसर डा. प्रदीप शर्मा, डा. हरिओम, डा. रुचि भारद्वाज, डा. अंजु रानी शर्मा, डा. शील, डा. सुनील देवी, मंजू, अमित, निशा, रीनू देवी व कीर्ति विशेष रूप से मौजूद थे।