मानव उत्थान सेवा समिति द्वारा जरूरतमंद विद्यार्थियों को किया सर्दियों का सामान वितरित

 एस• के• मित्तल   
जींद,  भिवानी रोड स्थित राजकीय कन्या प्राथमिक पाठशाला वाल्मीकी बस्ती व बाल आश्रम में मानव उत्थान सेवा समिति शाखा जींद द्वारा सर्दियों के मौसम को देखते हुए गरीब व जरूरतमंद लगभग एक सौ विद्यार्थियों को जुते व जराब तथा अन्य सामग्री वितरित की गई।
मानव उत्थान सेवा समिति की संचालक महात्मा संजीवनी बाई ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए सतपाल महाराज के मार्गदर्शन में समिति द्वारा चलाए जा रहे मानव कल्याण अभियान के तहत गरीब व जरूरतमंद विद्यार्थियों को जुते, जुराब व अन्य खाद्य सामग्री वितरित की गई। समिति का उदेश्य है कि कोई भी गरीब व जरूरतमंद बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। उन्होंने बताया कि समिति द्वारा मानव कल्याण के लिए भी मिशन चलाया जा रहा है। जिसमें अनाथ आश्रम, वृद्धाश्रम, बेसहारा बच्चों के लिए आश्रम, शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में मानव समाज के लिए अनेकों कार्यक्रम किये जा रहे है। उन्होंने आहवान किया कि ऐसे अनेक उपाय हैं जो संसार में मानवता की भलाई के लिए किए जा सकते हैं। हमें कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे इस संसार में कोई भूखा न रहे।
सबको भर पेट भोजन, पहनने को कपड़े और रहने को घर मिले। हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि संसार में सर्वत्र शांति और भाईचारे का माहौल हो।उन्होंने स्कूली विद्यार्थियों को शिक्षा व संस्कार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुणवत्ता परक शिक्षा से ही गरीबी को खत्म किया जा सकता है। पिछली कुछ सदियों में हमारे समाज ने जो भी प्रगति की है उसकी वजह शिक्षा है। शिक्षा समाज का आधार होती है। यह सुधारों को जन्म देती है और नए विचारों व उपलब्धियों के लिए रास्ता दिखाती है। समाज में गुणवत्ता युक्त शिक्षा के महत्व को कमतर नहीं आंका जा सकता। आज शिक्षा की बदौलत ही मनुष्य ब्रह्मांड की विशालता और चन्द्रमा के रहस्यों की खोज कर रहा है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मतलब ऐसी शिक्षा से हैं जो अपने निर्माण के उद्देश्यों को अच्छी तरह समझती हो और आपके लिए फायदेमंद हो। वर्तमान की शिक्षा का अपने उद्देश्यों की प्राप्ति करने में विशेष योगदान है।
उन्होंने संस्कारों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए विद्यार्थियों को कहा कि संस्कार मनुष्य को आचरणवान और चरित्रवान तो बनाते है ही, मनुष्यों को सामाजिक एवं आध्यात्मिक नागरिक बनाने में भी सहयोग करते है। हमें अपने माता-पिता तथा स्कूल अध्यापकों का मान-सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में संस्कार बडे उपयोगी सिद्ध हुए। उनसे व्यक्तित्व के विकास में बडी सहायता मिली। मानव जीवन को संस्कारों ने परिष्कृत और शुद्ध किया तथा उसकी भौतिक तथा आध्यात्मिक आकांक्षाओं को पूर्ण किया।
अनेक सामाजिक समस्याओं का समाधान भी इन अच्छे संस्कारों से ही किया जा सकता है। इस अवसर पर मानव उत्थान सेवा समिति कमेटी से सावित्रि बाई, रामप्रश्न, प्रधान रघु नंदन, हरिमोहन, लक्ष्मी नारायण, सतीश सुभाष, रामफल, हरिमोहन, अंजू व अन्य स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।

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