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एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर के बीडीपीओ दफ्तर के बाहर सफीदों व पिल्लूखेड़ा खण्ड के ग्रामीण सफाई कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर धरना दिया जहां उन्होंने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस मौके पर सफीदों के श्यामलाल व पिल्लूखेड़ा के धर्मेंद्र की सयुंक्त अध्यक्षता में 7 सदस्यीय कमेटी का गठन आंदोलन के लिए किया गया। धरने पर सीटू जिला उपाध्यक्ष राधेश्याम हाट ने बताया कि प्रदेशभर के 11 हजार सफाई कर्मचारी 17 साल से काम कर रहे हैं जो पक्का करने की मांग को लेकर पिछले 40 दिन से हड़ताल पर हैं लेकिन हरियाणा सरकार ने इनकी मांग को एक तरह से नकार दिया है।
सफीदों, नगर के बीडीपीओ दफ्तर के बाहर सफीदों व पिल्लूखेड़ा खण्ड के ग्रामीण सफाई कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर धरना दिया जहां उन्होंने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस मौके पर सफीदों के श्यामलाल व पिल्लूखेड़ा के धर्मेंद्र की सयुंक्त अध्यक्षता में 7 सदस्यीय कमेटी का गठन आंदोलन के लिए किया गया। धरने पर सीटू जिला उपाध्यक्ष राधेश्याम हाट ने बताया कि प्रदेशभर के 11 हजार सफाई कर्मचारी 17 साल से काम कर रहे हैं जो पक्का करने की मांग को लेकर पिछले 40 दिन से हड़ताल पर हैं लेकिन हरियाणा सरकार ने इनकी मांग को एक तरह से नकार दिया है।
उन्होने कहा कि वाल्मीकि जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री की घोषणा दलित सफाई कर्मचारियों का मजाक है। राधेश्याम ने कहा कि 2014 के चुनाव में भाजपा के घोषणापत्र में ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को पक्का करने का वादा शामिल था लेकिन भाजपा सरकार के 9 साल बाद भी इसके लिए ये कर्मचारी सड़कों पर हैं। ग्रामीण सफाई कर्मचारी संघ के जिला प्रधान कृष्ण मोरखी ने कहा कि यूनियन के सरकार के साथ 23 जनवरी को हुए समझौते में वार्षिक बढ़ौतरी, महंगाई भत्ता, औजार भत्ता, धुलाई भत्ता, वार्षिक अवकाश, भर्ती का पैमाना तैयार करने पर सहमति हुई थी लेकिन सब भुला दिया। इस मौके पर कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें दीवाली पर घोषित 501 रुपये की खैरात नहीं हक चाहिए जिसके लिए वे किसी हद तक भी लड़ेंंगे।
उनकी मांगों में पालिसी बनाकर सेवाएं नियमित करना, कर्मचारियों को बीडीपीओ के पे-रोल पर लेना, 26000 रुपये मासिक न्यूनतम वेतन लागू करना, दो हजार की बजाए 400 की आबादी पर एक कर्मचारी की स्थाई नियुक्ति करना, डोर टू डोर के कर्मचारियों को ग्रामीण सफाई कर्मियों के बराबर वेतन व वर्दी भत्ता देना, काम के औजारों का 500 रुपये मासिक काम भत्ता तय करना, 500 रुपये मासिक वर्दी धुलाई भत्ता लागू करना, एक्सग्रेसिया नीति के तहत परिवार के सदस्य को काम पर रखना, दिवाली पर बोनस व कर्मचारियों के बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षा भत्ता लागू करना, सौ-सौ गज के प्लाट और मकान बनाने के लिए अनुदान देना शामिल हैं।
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