एस• के• मित्तल
सफीदों, संथारा साधिक परेमेश्वरी देवी का शुक्रवार को नगर के सिटी पार्क में श्रद्धाजंलि दिवस मनाया गया। इस अवसर पर सैंकड़ों लोगों ने परमेश्वरी देवी को श्रद्धांजलि अर्पित की और भगवान से उनके लिए मोक्ष की कामना की। इस अवसर पर पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य ने विशेष रूप से शिरकत की। श्री एसएस जैन सभा के महासचिव रमेश जैन ने अपने भावों के द्वारा परमेश्वरी देवी के परमधाम की मंगलकामना की। वहीं जैन समाज के सुश्रावक विपुल जैन ने अपने गीता व कविताओं के माध्यम से माहौल को भक्तिमय बना दिया।
सफीदों, संथारा साधिक परेमेश्वरी देवी का शुक्रवार को नगर के सिटी पार्क में श्रद्धाजंलि दिवस मनाया गया। इस अवसर पर सैंकड़ों लोगों ने परमेश्वरी देवी को श्रद्धांजलि अर्पित की और भगवान से उनके लिए मोक्ष की कामना की। इस अवसर पर पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य ने विशेष रूप से शिरकत की। श्री एसएस जैन सभा के महासचिव रमेश जैन ने अपने भावों के द्वारा परमेश्वरी देवी के परमधाम की मंगलकामना की। वहीं जैन समाज के सुश्रावक विपुल जैन ने अपने गीता व कविताओं के माध्यम से माहौल को भक्तिमय बना दिया।
पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य ने परमेश्वरी देवी के पुत्र अभय जैन, पौत्र गौरव जैन व गौत्तम जैन व अन्य परिवारजनों को कहा कि आज का दिन शोक का नहीं बल्कि हर्ष मनाने का दिवस है क्योंकि संथारा जैसा प्रण विरले लोग ही लिया करते हैं। परमेश्वरी देवी ऐसी ही विरले लोगों में से एक हैं। उन्होंने कहा कि संथारा परंपरा आज की नहीं है बल्कि आदिकाल से चलती आ रही है। भगवान राम ने भी इस धरा पर अंतिम समय में जलसमाधि के रूप में संथारा ग्रहण किया था। महाभारतकाल, पुराणों व उपनिषदों में भी संथारे का जिक्र आता है। माता जी परमेश्वरी देवी ने संथारे जैसा अलौकिक कार्य करके ऐतिहासिक नगरी सफीदों व परिवार का नाम पूरे विश्व पटल ही नहीं बल्कि पूरे ब्राह्मंड में फैला दिया है।
देवी-देवताओं ने भी उनका स्वर्ग में अलौकिक व भव्य स्वागत किया होगा। उन्होंने कहा कि जिसकी पुण्यवाणी उदय होती है वहीं पवित्र आत्मा संथारे को ग्रहण करती है। संथारे का मतलब जीवन के अंतिम समय में तप-विशेष की आराधना करना है। आत्मा और परमात्मा का चिंतन करते हुए जीवन की अंतिम सांस तक अच्छे संस्कारों के प्रति समर्पित रहने की विधि का नाम संथारा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि संथारा साधिका परमेश्वरी देवी की याद में सफीदों में कोई बड़ा स्मारक बनाया जाए ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके तप से प्रेरणा ले सकें।
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