पंजाब के किसानों के लिए अपमानजनक बातें बोलने पर हिसार के किसानों ने पंजाब के सीएम भगवंत मान का पुतला जलाकर विरोध दर्ज किया। किसानों ने हरियाणा-पंजाब किसान भाईचारा एकता का परिचय दिया। सीएम ने फरीदकोट में धरना दे रहे किसान नेताओं पर टिप्पणी की थी कि किसान संगठन फंड इकट्ठा करने के लिए धरना देते हैं और रोजाना धरने ही देते रहते हैं। पंजाब में 6 जगहों पर 16 नवंबर से हजारों किसान धरना दे रहे हैं और 19 नवंबर से किसान नेता सरदार जगजीत सिंह दल्लेवाल आमरण अनशन पर हैं।
हिसार से किसान जाएंगे फरीदकोट
प्रदर्शन के दौरान हिसार के किसानों ने कहा कि वे कंधे से कंधा मिलाकर पंजाब के किसानों के साथ खड़े हैं एवम किसी भी सूरत में किसानों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि कोई भी पार्टी या राजनेता किसानों का अपमान करेगा तो उनका जमकर विरोध किया जाएगा। किसानों ने कहा कि जिस आम आदमी पार्टी का जन्म करप्शन विरोधी आंदोलन से हुआ, आज वो ही पार्टी किसानों के आंदोलन को गलत बता रही है।
किसानों ने कहा कि सत्ता में पहुंचने के बाद तमाम राजनीतिक पार्टियां बदल जाती हैं और अपना असली किसान-विरोधी रंग दिखाती हैं। 24 नवंबर को हरियाणा से बड़ी संख्या में किसान इकट्ठे होकर पंजाब के फरीदकोट में जाएंगे और पंजाब के किसानों का समर्थन करेंगे।
पुतला फूंकते हुए किसान
ये थी मांगे
मई 2022 में संयुक्त किसान मोर्चा अराजनैतिक के नेतृत्व में पंजाब के हजारों किसानों ने चंडीगढ़ का घेराव किया था, जिसके बाद किसानों से वार्ता के दौरान पंजाब सरकार ने कई मांगों पर सहमति जताई थी। मुख्य मांगें जिन पर सहमति बनी थी, देह शामलात व मुश्तरका मालकान जमीनें किसानों से नहीं छीनी जाएंगी।
पहले की सरकारों के समय पराली जलाने वाले किसानों की जमीनों को रेड एंट्री से बाहर किया जाएगा व उन पर दर्ज मुकदमे खारिज़ किये जायेंगे। भविष्य में पराली न जलाने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि के तौर पर 2500 रुपये/एकड़ दिया जाएगा।खराब फसलों का मुआवज़ा दिया जाएगा और लंपी स्किन बीमारी से मारे गए पशुओं का मुआवज़ा दिया जाएगा। किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवारों के 1-1 सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। मूंग की फसल की MSP पर पूर्ण खरीद की जाएगी।
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ये किसान उपस्थित रहे
किसान नेता हर्षदीप गिल, शमशेर नम्बरदार, जगदीप सांगवान, राजीव मलिक, सुनील गोरखपुरिया, बलराज मलिक, बलवान लोहान, सुधीर सिंघवा, सतबीर सिंह रुहिल, पृथ्वी सिंह पूनिया, दिलबाग बेरवाल, आनंद देव सांगवान, किशोरी लाल गंगवा, सतीश बूरा, राजेश मोर किसान मौजूद रहे।