एस• के• मित्तल
सफीदों, हरियाणा की सहकारी संस्था कनफेड के एक दुर्लभ मामले में सफीदों के एक कर्मचारी राधेश्याम को वर्ष 1984 में निलम्बित करने के बाद कनफेड उसे कतई भूल गया। आज भी उसकी सेवा का कोई रिकॉर्ड कनफेड मे उप्लब्ध नहीं बताया गया है। राधेश्याम ने बताया कि वह वर्ष 1979 में कनफेड में क्लर्क भर्ती हुए थे। पहली पोस्टिंग पानीपत में कनफेड के एक स्टोर में हुई। फिर वह लंबे समय तक सफीदों के सहकारी स्टोर में रहे। उन्होंने बताया कि सफीदों में ड्यूटी के दौरान मार्च 1984 में उन्हें राजनीतिक रंजिश के कारण गबन के आरोप में निलंबित कर दिया गया और अप्रैल 1984 में उनके खिलाफ सफीदों थाना में गबन की एफआईआर भी दर्ज हुई।
सफीदों, हरियाणा की सहकारी संस्था कनफेड के एक दुर्लभ मामले में सफीदों के एक कर्मचारी राधेश्याम को वर्ष 1984 में निलम्बित करने के बाद कनफेड उसे कतई भूल गया। आज भी उसकी सेवा का कोई रिकॉर्ड कनफेड मे उप्लब्ध नहीं बताया गया है। राधेश्याम ने बताया कि वह वर्ष 1979 में कनफेड में क्लर्क भर्ती हुए थे। पहली पोस्टिंग पानीपत में कनफेड के एक स्टोर में हुई। फिर वह लंबे समय तक सफीदों के सहकारी स्टोर में रहे। उन्होंने बताया कि सफीदों में ड्यूटी के दौरान मार्च 1984 में उन्हें राजनीतिक रंजिश के कारण गबन के आरोप में निलंबित कर दिया गया और अप्रैल 1984 में उनके खिलाफ सफीदों थाना में गबन की एफआईआर भी दर्ज हुई।
विभागीय जांच में उन्हें नवम्बर 1987 में निर्दोष करार दिया गया व आपराधिक मामले में भी अदालत ने मार्च 1996 में बरी कर दिया लेकिन कनफेड ने उन्हें निलंबन के बाद ना तो बर्खास्त किया और ना ही बहाल। कनफेड कभी का बंद हो चुका है और उनकी सेवा का रिकॉर्ड कहीं उपलब्ध नहीं। उनके पास सबूत के तौर पर कनफेड के तत्कालीन एमडी द्वारा जारी पहले तैनाती पत्र की कनफेड से सत्यापित प्रति है जो उन्होंने दिखाई जिसमे उन्हें पानीपत का स्टेशन दिया गया था। वाइंड-अप हुई कनफेड व सहकारी विभाग के सम्बंधित अधिकारी इस पर कुछ नहीं बोल रहे हैं।
सेवा लाभों के लिए उन्होने कनफेड के इलावा मुख्यमंत्री, राज्यपाल, राष्ट्रपति व राज्य के सहकारिता मंत्री से वर्षों तक गुहार लगाकर थक चुके। कई गम्भीर रोगों से ग्रस्त राधेश्याम ने बताया कि हरियाणा के रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां से उन्होंने सेवा लाभों का अनुरोध किया तो रजिस्ट्रार ने पिछले दिनों सफीदों की सहायक रजिस्ट्रार से रिपोर्ट मांग ली लेकिन स्थानीय अधिकारी की सेवा लाभ देने की सिफारिश की उस रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। राधेश्याम की आस अब हरियाणा के विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता की सिफारिश से बंधी है।
उन्होंने बताया कि उनकी फाइल राज्य के एक अतिरिक्त मुख्य सचिव के पास लंबित थी जिसे गुप्ता की सिफारिश के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय भिजवाया गया है। मानवता के आधार पर राधेश्याम की मदद कर रहे हरियाणा के सेवानिवृत कर्मियों के संगठन पेंशनर्स यूनाइटेड फ्रंट के महासचिव, बिजली निगम से सेवानिवृत डीएस भारद्वाज ने विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता के इस मामले में सहानुभूतिक रवैये के लिए उनका आभार जताया है।