हरियाणा के हिसार जिले में बेमौसमी बारिश के कारण किसानों की फसलें खराब हो रही है। कृषि विभाग के प्राथमिक सर्वे में हिसार में 1 लाख 87 हजार हेक्टेयर फसल को नुकसान हुआ है। इसमें से अकेले कॉटन की 1 लाख 29 हजार 814 हेक्टेयर फसल खराब हो गई। कृषि विभाग के फील्ड कर्मचारियों की सर्वे रिपोर्ट अनुसार जलभराव से हिसार में फसलों को काफी नुकसान हुआ है। बारिश का पानी अभी भी खेतों में जमा है।
कृषि विभाग के रिकार्ड अनुसार हिसार के बरवाला, उकलाना और नारनौंद ब्लॉक में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर विनोद फोगाट ने बताया कि किसानों से फसल नुकसान के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कंपनी द्वारा नुकसान की भरपाई की जाएगी।
कॉटन को सबसे ज्यादा नुकसान
हिसार में कॉटन की 61,735 हेक्टेयर फसल को 25 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा। 26 से 50 प्रतिशत तक 23160 हेक्टेयर, 51 से 75 प्रतिशत तक 17800 और 76 प्रतिशत से ज्यादा 21119 हेक्टयर कपास की फसल को नुकसान हुआ है। हिसार में 18970 हेक्टेयर में ग्वार की फसल की बिजाई की गई थी। परंतु बारिश के कारण 76 प्रतिशत से ज्यादा 5,784 हेक्टेयर में फसल खराब हो गई। धान की बिजाई 12965 हेक्टेयर में थी। इसमें 400 हेक्टेयर में 76 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान हुआ। बाजरा की खेती 1900 हेक्टेयर में थी। 800 हेक्टेयर फसल खराब हो गई।
फसलों में जलभराव दिखाते किसान।
प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगा रहे ग्रामीण
पानी निकासी को लेकर हिसार के बधावड़ गांव के ग्रामीण शुक्रवार को डीसी कार्यालय पहुंचे। किसान समुंद्र सिंह, रघुबीर, जगजीत, जगदीश, संजय, रामफल ने बताया कि 3 महीने से खेतों और गांव में पानी भरा हुआ है। कुछ दिनों पहले ही बारिश के कारण गांव और खेतों में स्थिति ओर नाजुक बन गई है। जलभराव से बीमारियों का भय बना हुआ है, इसलिए दवाई का छिड़काव किया जाए। इसलिए पानी निकासी का स्थाई बंदोबस्त किया जाए और इस प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़ा।
डीसी कर चुके हैं दौरा
हिसार के डीसी उत्तम सिंह ने वीरवार को भी जिले के जलभराव क्षेत्र के गांव टोकस, पातन, मिर्जापुर, सुलखनी, घिराए, गुराना, ढांड, डाटा, राजली, नारनौंद, थुराना में पानी की निकासी के लिए किए गए प्रबंधों का जायजा लिया। डीसी ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को बारिश के मौसम में जलभराव होने वाले क्षेत्रों में पानी की निकासी हेतु कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं, ताकि भविष्य में जलभराव की स्थिति बनने पर लोगों को दिक्कत का सामना न करना पड़े।