नई दिल्ली51 मिनट पहले
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जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
चुनाव में EVM के सभी वोटों की गिनती वीवीपैट मशीन की पर्चियों से कराने की मांग वाली याचिका पर सोमवार (1 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने मामले पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
दरअसल, एक्टिविस्ट और वकील अरुण कुमार अग्रवाल ने अगस्त 2023 में याचिका लगाई थी। इसमें उन्होंने इलेक्शन कमीशन की गाइडलाइन को चुनौती दी है। साथ ही कहा है कि EVM में पड़े सभी वोटों का मिलान वीवीपैट की पर्चियों से किया जाए। फिलहाल निर्वाचन क्षेत्र के कोई भी 5 EVM का ही VVPAT से मिलान होता है।
इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि वोटर्स को VVPAT की पर्ची वेरिफाई करने का मौका दिया जाना चाहिए। वोटर्स को खुद बैलेट बॉक्स में वीवीपैट से निकली पर्ची डालने की सुविधा मिलनी चाहिए।
एक साथ वेरिफिकेशन की भी मांग
याचिका में कहा गया है कि फिलहाल निर्वाचन क्षेत्र की 5 EVM का वीवीपैट से मिलान एक के बाद एक होता है। सभी EVM का मिलान एक साथ नहीं किया जाता। हर क्षेत्र में वोटों के मिलान के लिए अधिकारियों की तैनाती बढ़ानी चाहिए, जिससे 5-6 घंटे में पूरा वैरीफिकेशन हो जाए।
याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने लगभग 24 लाख वीवीपैट खरीदने के लिए 5 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन केवल 20,000 वीवीपैट की पर्चियों का ही वैरिफिकेशन होता है।
क्या होता है VVPAT?
वोटर वैरिफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी VVPAT को इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (EVM) से कनेक्ट किया जाता है। EVM में वोटर जिस भी पार्टी का बटन दबाता है, उसी पार्टी का चिह्न की पर्ची उसे वीवीपैट मशीन में दिखती है। यानी वोटर कंफर्म कर सकता है कि उसने EVM में बटन दबाकर जिस प्रत्याशी को वोट दिया है, वोट उसे ही गया है या नहीं।
वीवीपैट से निकलने वाली पर्ची सिर्फ वोटर को ही दिखती है। वह 7 सेकेंड तक ही इसे देखकर अपना वोट वेरिफाई कर सकता है। यदि चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका होती है तो चुनाव आयोग पर्ची का मिलान करता है।
पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कई बार उठा है मुद्दा
2019 के लोकसभा चुनावों से पहले, 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने भी सभी EVM में से कम से कम 50 प्रतिशत VVPAT मशीनों की पर्चियों से वोटों के मिलान करने की मांग की थी। उस समय, चुनाव आयोग हर निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक EVM का VVPAT मशीन से मिलान करता था। 8 अप्रैल, 2019 को सुप्रीम कोर्ट मिलान के लिए EVM की संख्या 1 से बढ़ाकर 5 कर दी थी।
इसके बाद मई 2019 कुछ टेक्नोक्रेट्स ने सभी EVM के VVPAT से वेरिफाई करने की मांग की याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
इसके अलावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने भी जुलाई 2023 में वोटों के मिलान की याचिका लगाई थी। इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- कभी-कभी हम चुनाव निष्पक्षता पर ज्यादा ही संदेह करने लगते है।
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जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि वह चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अधिनियम 2023 पर फिलहाल रोक नहीं लगा सकती, क्योंकि इससे अव्यवस्था फैल जाएगी। नए चुनाव आयुक्तों के खिलाफ भी कोई आरोप नहीं हैं। हालांकि कोर्ट ने कानून को चुनौती देने वाली मुख्य याचिकाओं की जांच करने का आश्वासन दिया है। पूरी खबर पढ़ें…
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