शाही लकड़हारा सांग का हुआ मंचन

 

 

एस• के• मित्तल 

सफीदों, सोसाईटी फॉर कल्चर एण्ड सोशल एपलिफ्टिमेंट द्वारा नगर के रामपुरा रोड स्थित बैरागी भवन में शनिवार को शाही लकड़हारा सांग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में ब्रांच पोस्ट मास्टर पाजू कलां धनश्याम दास ने शिरकत की।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता सोसायटी के सचिव आनंद प्रकाश ने की। मुख्यातिथि ने दीप प्रज्ज्वलन करके समारोह का शुभारंभ किया। सांगी संजय लाखनमाजरा की टीम के कलाकारों ने अपने अभिनय व गीतों के माध्यम से शाही लकड़हारा सांग का मंचन करते हुए बताया कि यह कहानी जोधपुर में राजा जोधानाथ व रानी रुपाणी की है। रात को जंगल में जंगली जानवर की आवाज आती है। राजा कहता है शेर की आवाज है तो रानी कहती है गिदड़ की आवाज है। दोनों में शर्त लग जाती है और यह तय हो जाता है कि जो हार जाएगा उसे 12 बर्ष का वनवास होगा।

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इस शर्त में रानी हार जाती है और गर्भवती रानी रूपाणी को 12 वर्ष के वनवास के लिए वन में जाना पड़ता है। रानी ने जंगल में तपस्या कर रहे एक साधु की कुटिया में शरण ली। कुछ दिन बाद रानी को लड़का पैदा हुआ। साधु ने उसका नाम विरेन्द्र सिंह शाही लकड़हारा रखा। ग्रामीणों ने सांग का जमकर लुत्फ उठाया। अपने संबोधन में मुख्यातिथि धनश्याम दास ने कहा कि हरियाणवीं संस्कृति को फलीभूत करने व महापुरूषों के जीवन चरित्र को समाज के सामने लाने में सांग का अहम योगदान रहा है।

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वर्तमान दौर में सांग का मंचन सिमटता चला जा रहा है जोकि एक चिंतनीय विषय है। ऐसे में विलुप्त हो रही सांग की संस्कृति को बचाने में आयोजक संस्था अपना अहम रोल अदा कर रही है, जिसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। कार्यक्रम के समापन पर अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

 

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