वायरल व डेंगू बुखार की चपेट में सफीदों क्षेत्र अस्पतालों में मरीजों की लगी है लंबी लाईनें

 

एस• के• मित्तल 

सफीदों, सफीदों क्षेत्र वायरल, टाइफाइड व डेंगू बुखार की चपेट में है। इन बीमारियों से ग्रस्त मरीजों की तादाद निरंतर बढ़ती जा रही है। नगर के नागरिक अस्पताल व प्राइवेट अस्पतालों, यहां तक कि मेडिकल स्टोरों पर भी मरीजों की भारी भीड़ जमा है। बीमारी को देखते हुए तीमारदार अपने-अपने मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों में ले जा रहे है।

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मरीज की स्थिति गंभीर होते देख उन्हे सफीदों से बाहर बड़े अस्पतालों में दाखिल करवाया जा रहा है। सबसे ज्यादा समस्या लोगों को इस बुखार में प्लेटलेटस घटने की आ रही है। मरीजों की संख्या की बात करें तो अकेले नागरिक अस्पताल में हर रोज करीब 400 मरीज ओपीडी में आ रहे हैं। इन मरीजों में सबसे ज्यादा तादाद वायरल बुखार व डेंगू की होती है। ऐसा ही कुछ हाल प्राइवेट अस्पतालों का भी है।

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प्राईवेट अस्पतालों द्वारा प्लेटलेटस घटने का दिखाया जा रहा है डर

इस प्रकोप के चलते प्राईवेट अस्पताल जमकर चांदी कूट रहे हैं। नागरिक अस्पताल में लचर स्थिति को देखते हुए मरीज प्राईवेट अस्पतालों की शरण ले रहे हैं। इन अस्पतालों द्वारा मरीजों को लंबा-चोड़ा बिल थमाया जा रहा है, जिस चुकाने के लिए मरीज मजबूर हैं। बुखार होने की स्थिति में मरीज को अस्पताल में दाखिल कर लिया जाता है। कुछ घंटे के बाद मरीज के अटेंडेंट को बार-बार मरीज की स्थिति गंभीर होने व प्लेटलेटस घटने का भय दिखाया जाता है। जरूरत ना होने पर भी मरीज को प्लेटलेटस चढ़ाने की बात कही जाती है। प्लेटलेटस के लिए डोनर की तलाश की जाती है। अगर डोनर मिल जाता है तो उसकी प्रोसेसिंग का खर्च भी बहुत ज्यादा है। थक-हारकर मरीज के तिमारदार सबकुछ अस्पताल संचालक के ऊपर छोड़ देते हैं।

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नागरिक अस्पताल में सुविधाएं ना के बराबर

डेंगू व वायरल बुखार के बढ़ते प्रकोप के बावजूद भी नागरिक अस्पताल में सुविधाएं ना के बराबर हैं। डेंगू को कनर्फम करने के लिए एलायजा टैस्ट करवाने की आवश्कता होती है लेकिन यह सुविधा अस्पताल में नहीं है। नागरिक अस्पताल के डाक्टर मरीज के टैस्ट लेकर उसे परीक्षण के हांसी पंचायत चुनाव में नामांकन का काम निपटा: अब नाम वापसी 14 नवंबर को; फिर प्रत्याशियों को मिलेंगे चुनाव चिन्हलिए जींद भेजते है और एक या दो दिन में वहां से रिपोर्ट आती है। इसके अलावा यहां पर प्लेटलेटस काऊंट करने के लिए काऊंटर सैल नहीं है। प्लेटलेटस काऊंट करने के लिए सैंपल लेकर उन्हे बाहर भेजा जाता है। अस्पताल में सुविधाएं ना होने का फायदा निजी लैब संचालक उठा रहे है। डेंगू टैस्ट के नाम पर सरकार से निर्धारित फीस से ऊपर रकम वसूल कर रहे है। जिस कार्ड से टैस्ट किया जाता है वह भी पूरी तरह से मान्य नहीं है। डेंगू टैस्ट की असली मान्यता एलायजा टैस्ट को प्राप्त है।

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क्या कहते हैं एसएमओ

इस मामले में एसएमओ डा. जेपी चहल का कहना है कि वर्तमान दौर में सफीदों में वायरल, टाइफाइड व डेंगू के मरीज आ रहे हैं। हर रोज वायरल बुखार के मरीजों के 4 से 5 मरीजों के सैंपल लेकर एलाइजा टैस्ट के लिए जींद भेजा जा रहा है। जिनमें से लगभग एक मरीज डेंगू का मिलता है। जिस स्थान पर डेंगू का मरीज मिलता है उस इलाके में फॉगिंग करवाई जा रही है। उन्होंने बताया कि इस समय 400 से 500 ओपीडी की जा रही है। जिनमें वायरल बुखार के मरीज ज्यादा होते हैं। उन्होंने बताया कि सफीदों नागरिक अस्पताल में डेंगू के टेस्ट के लिए एलाइजा टेस्ट के लिए मशीन नहीं है। जिसको लेकर यहां से मरीजों के सैंपल लेकर उन्हें जींद भेजे जाते हैं और वहां से रिपोर्ट हर रोज मंगवाई जाती है। इसके अलावा प्लेटलेट चेक करने के लिए यहां पर काउंटर सेल मशीन भी नहीं है। उन्होंने दोनों मशीनों को यहां पर मंगवाने के लिए दो बार विभाग के आला अधिकारियों को डिमांड भेज चुके हैं लेकिन स्थिति जस की तस है। उन्होंने बताया कि कोई मरीज अगर प्राइवेट अस्पताल प्राइवेट टेस्टिंग करना चाहता है तो उसके लिए सरकार की ओर से 600 रूपए रेट निर्धारित किया गया है। अगर इससे अधिक कोई लैब संचालक पैसे लेता तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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केवल प्लेटलेटस घटना ही डेंगू नहीं: डा. जेपी चहल

नागरिक अस्पताल के एसएमओ डा. जेपी चहल का कहना है कि केवल प्लेटलेटस घटना ही डेंगू नहीं होता। वायरल व टाईफाईड बुखार से प्लेटलेट्स घट जाती है लेकिन जैसे-जैसे शरीर में वायरस कम होता है वैसे-वैसे प्लेटलेट बढऩी शुरू हो जाती है। सरकारी गाइडलाइन के मुताबिक जिस मरीज की 50000 तक प्लेटलेट्स होती हैं उसे एडमिट नहीं किया जाता और जिस मरीज की 10000 से कम प्लेटलेटस रह जाती हैं उसे ही प्लेटलेटस चढ़ाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि मरीज किसी प्रकार के बहकावे में ना आए। सफीदों के नागरिक अस्पताल में हर प्रकार की सुविधाएं दी गई है तथा अलग से वार्ड बनाए गए हैं। अगर कोई प्राइवेट अस्पताल मरीजों को डर दिखाकर एडमिट करता है या प्लेटलेटस चढ़ाने की बात करता है तो मरीज उसके खिलाफ स्वास्थ्य विभाग को शिकायत दे सकता है। विभाग द्वारा उस अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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