रेवाड़ी नगर परिषद XEN का इस्तीफा: 2 सप्ताह का वक्त देकर सरकार और मुख्यालय ने पूछी मंशा; कई माह से चल रही उथल-पुथल

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रेवाड़ी नगर परिषद में चल रही उथल-पुथल के बीच कार्यकारी अभियंता (XEN) अजय सिक्का ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया हैं। हालांकि उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। सरकार और मुख्यालय ने इसके पीछे की मंशा को पूछते हुए उन्हें 2 सप्ताह का समय दिया है। ताकी पता किया जा सके है कि उन्हें कोई परेशान तो नहीं कर रहा।

 

कार्यकारी अभियंता अजय सिक्का की रिटायरमेंट में अभी करीब 18 माह का समय बचा हुआ हैं। लेकिन सोमवार को अचानक अजय सिक्का ने अपने पद से इस्तीफा देकर मुख्यालय को भेज दिया। सिक्का के इस्तीफा देने की जानकारी लीक होने के बाद खलबली मच गई। सरकार और मुख्यालय की तरफ से अजय सिक्का को 2 सप्ताह का समय देते हुए इसका कारण पूछा गया है। उनसे पूछा गया कि कही कोई परेशानी या फिर अधिकारी तो उन्हें परेशान नहीं करा रहा है। अभी उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया हैं।

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भ्रष्टाचार का गढ़ नगर परिषद

बता दें कि पिछले लंबे समय से रेवाड़ी नगर परिषद राजनीति का अखाड़ा बनी हुई हैं। नगर परिषद में लगातार भ्रष्टाचार की परतें खुल रही हैं। पार्षद और अधिकारियों के बीच की खिंचतान जग जाहिर है। एक बाद एक भ्रष्टाचार के मामले निकल कर सामने आ रहे हैं। नगर परिषद के उच्च अधिकारियों की कार्यप्रणाली की सवालों के घेरे में हैं। लेकिन कार्यकारी अभियंता के अचानक इस्तीफा देने के बाद मामला और ज्यादा गर्मा गया हैं। प्रदेश में अगर सबसे ज्यादा नगर निकाय विभाग में कहीं कोई भ्रष्टाचार की शिकायतें होगी तो रेवाड़ी से ही निकलकर सामने आती हैं। इसीलिए रेवाड़ी नगर परिषद को भ्रष्टाचार का गढ़ कहा जाता हैं।

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पार्षद खुद लगा चुके गंभीर आरोप

पार्षद खुद उच्च अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं। कुछ दिन पहले ही प्रोपर्टी आईडी से जुड़ा एक मामला सामने आया था। जिसमें विजिलेंस ने बकायदा नगर परिषद के उच्च अधिकारियों के खिलाफ नामजद भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया, लेकिन अधिकारियों की पावर को इसी से समझा जा सकता है कि आज तक इस मामले में एफआईआर से आगे कार्रवाई नहीं बढ़ी।

रेवाड़ी नगर परिषद में बैठने वाले अधिकारियों की सीट को मलाई की सीट कहा जाता हैं। विजिलेंस की एफआईआर के बाद होने वाली जांच आज पूरी तरह गोल खाते में हैं। अगर विजिलेंस की जांच निष्पक्ष तरीके से बढ़ती तो आज खुद को पाक साफ कहने वाले अधिकारी ही नपे हुए नजर आते। लेकिन राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अधिकारी नगर परिषद में जमकर गोलमाल करने में जुटे हैं। इसका आरोप खुद शहर के पार्षद ही लगा चुके हैं।

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