अरुण योगीराज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर चांदी के हथौड़े और सोने की छेनी की तस्वीर शेयर की है।
अयोध्या में रामलला की मूर्ति बनाने वाले कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक हथौड़े और छेनी की तस्वीर शेयर की है। योगीराज ने बताया कि इसी हथौड़े और छेनी से उन्होंने रामलला की आंखें तराशी हैं।
अपने पोस्ट के कैप्शन में अरुण योगीराज ने लिखा- इस चांदी के हथौड़े और सोने की छेनी का उपयोग करके मैंने रामलला की दिव्य आंखें बनाई थीं। सोचा इसे सबके साथ साझा करूं।
अयोध्या में 22 जनवरी को अरुण योगीराज की बनाई रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। इससे 3 दिन पहले 20 जनवरी को रामलला की पहली तस्वीर सामने आई थी। हालांकि, तब कपड़े से उनकी आंखें ढंकी थीं।
प्राण प्रतिष्ठा के दौरान रामलला की आंखें पहली बार दिखी थीं। इसे बाद लोगों ने अरुण योगीराज की खूब तारीफ की। योगीराज ने काले रंग की एक ही पत्थर से पूरी प्रतिमा बनाई है। पत्थर को कहीं से जोड़ा नहीं गया है।
बच्चों की 2000 फोटो देखीं, तब बनाई रामलला की प्रतिमा
अरुण योगीराज की पत्नी विजेता ने भास्कर को बताया था कि जब योगीराज को रामलला की प्रतिमा बनाने का काम मिला, तो उन्होंने बच्चों की 2000 से ज्यादा फोटो देखीं। महीनों तक बच्चों को ऑब्जर्व करते रहे। उनकी मासूमियत देखने के लिए स्कूल, समर कैंप, पार्क जाने लगे। वहां कई-कई घंटे बच्चों को खेलते हुए देखा करते थे।
विजेता ने बताया कि अरुण ने इस बात का ध्यान रखा कि सब शिल्प शास्त्र के मुताबिक हो। साथ ही रामलला की मूर्ति का कंपोजिशन आसपास के डिजाइन से मेल खाना चाहिए और कंपोजिशन उभरकर आना चाहिए। प्रतिमा में लोगों को भगवान नजर आने चाहिए।
छोटे से गांव में मिले पत्थर से बनी रामलला की प्रतिमा
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य और उडुपी के संत विश्वप्रसन्ना तीर्थ स्वामी ने बताया कि अरुण योगीराज ने रामलला की प्रतिमा को कर्नाटक के काले पत्थर से तैयार किया है। इसे करकला के नेल्लिकारू गांव से अयोध्या ले जाया गया। ये पत्थर पवित्र माना जाता है, इसलिए साउथ इंडिया में इसी से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाई जाती हैं।
रामलला की 4.25 ऊंची मूर्ति में उनके 5 साल के बाल स्वरूप में हैं। रामलला को पत्थर से बने कमल पर विराजमान दिखाया गया है। मूर्ति पर विष्णु के 10 अवतार, ॐ, स्वास्तिक, शंख-चक्र भी मौजूद हैं।
PM मोदी भी कर चुके हैं योगी के काम की तारीफ
अरुण योगीराज ने इंडिया गेट पर स्थापित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी बनाई है।
37 साल के अरुण योगीराज मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं। उन्होंने 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से MBA किया। फिर एक निजी कंपनी के लिए काम किया। इसके बाद उन्होंने प्रतिमा बनाने का काम शुरू किया। उन्हें बचपन से प्रतिमाएं बनाने का शौक था।
अरुण योगीराज ने ही जगदगुरु शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा का निर्माण किया था, जिसे केदारनाथ में स्थापित किया गया है। इंडिया गेट पर 2022 में स्थापित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी अरुण ने ही बनाई है। PM मोदी भी उनके काम की तारीफ कर चुके हैं।
तीन प्रतिमाओं में किया गया चयन
अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह के लिए रामलला की 3 प्रतिमा बनवाई गई थीं। तीनों की लंबाई 51-51 इंच है। तीनों प्रतिमाओं में कमल आसन पर विराजमान रामलला के 5 साल के बाल स्वरूप को दर्शाया गया है।
राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली प्रतिमा का चयन 31 दिसंबर को किया गया था। 29 दिसंबर को हुई बैठक के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सभी सदस्यों ने 3 प्रतिमाओं पर अपना मत लिखित रूप से महासचिव चंपत राय को दे दिया था।
अरुण योगीराज के अलावा दो और प्रतिमाएं बेंगलुरु के गणेश भट्ट और राजस्थान के सत्यनारायण पांडेय ने तैयार किया है। सत्यनारायण पांडेय की बनाई प्रतिमा संगमरमर की है। इन दोनों प्रतिमाओं को राम मंदिर में ही स्थापित किया जाना है।
ये खबरें भी पढ़ें…
रामलला की मूर्ति तुलसीदास के बाल-राम जैसी, श्रीराम मंदिर की मूर्ति का सौंदर्य और बनावट रामचरित मानस की 5 चौपाइयों में
तुलसीदास की रामचरित मानस के बालकांड में भगवान राम के बाल स्वरूप का वर्णन है। उसमें राम के श्याम वर्ण, मुस्कान और शरीर के बाकी अंगों की सुंदर व्याख्या की गई है। अयोध्या के राम मंदिर में लगाए गए कृष्णशिला से बनी श्रीरामलला की मूर्ति बहुत हद तक वैसी ही है। पूरी खबर पढ़ें …
रामलला की दो और प्रतिमाएं सामने आईं: एक श्यामल रंग की और दूसरी सफेद संगमरमर की
अयोध्या के राम मंदिर में बालक राम यानी रामलला विराजमान हो चुके हैं। इस बीच राम मंदिर के लिए बनाई गई दूसरी और तीसरी मूर्ति भी सामने आई है। दूसरी मूर्ति श्यामल रंग से बनी है, जबकि तीसरी मूर्ति मकराना संगमरमर की है। तीनों की लंबाई 51-51 इंच की है।
तीनों प्रतिमाओं में कमल आसन पर भगवान को विराजित दिखाया है। भगवान के 5 साल के बाल स्वरूप को तीनों में ही दर्शाया गया है। रामलला के अलावा भगवान राम की दोनों प्रतिमाओं को राम मंदिर में ही स्थापित किया जाना है।