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कहा: रमजान में किया एक पुण्य हजार पुण्य कार्यों के बराबर
एस• के• मित्तल
सफीदों, रमजान माह में किया गया का एक पुण्य कार्य हजार पुण्य कार्यों के बराबर है। यह बात मुस्लिम राष्ट्रीय मंच हरियाणा के प्रदेश संयोजक एवं हरियाणा हज कमेटी के पूर्व सदस्य अकबर खान राणा ने कही। उन्होंने कहा कि रमजान के महीने को मुबारक महीना कहा जाता है क्योंकि अल्लाह अपने बंदों पर विशेष ध्यान देता है।
सफीदों, रमजान माह में किया गया का एक पुण्य कार्य हजार पुण्य कार्यों के बराबर है। यह बात मुस्लिम राष्ट्रीय मंच हरियाणा के प्रदेश संयोजक एवं हरियाणा हज कमेटी के पूर्व सदस्य अकबर खान राणा ने कही। उन्होंने कहा कि रमजान के महीने को मुबारक महीना कहा जाता है क्योंकि अल्लाह अपने बंदों पर विशेष ध्यान देता है।
अल्लाह ने माह-ए-रमजान में रोजा रखने का हुक्म दिया ताकि भूख-प्यास से बिलखते लोगों के दर्द का अहसास हो और जरूरतमंद व परेशान लोगों की मदद का जज्बा पैदा हो। इस महीने में अल्लाह से मांगने वाला कभी भी महरूम नहीं रहता। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई धर्म नहीं है, जिसमें उपवास नहीं है। उसी प्रकार इस्लाम धर्म में उपवास के रूप में रोजे रखने का विधान है।
रमजान आत्मा की शुद्धिकरण का महीना है। माह-ए-रमजान महोब्बत का पैगाम लेकर आता है। हदीस के मुताबिक इस मुबारक माह में जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं और अर्श से फर्श तक नेकियों व रहमतों की बारिश का ऐसा पुरजोर सिलसिला शुरू होता है जिसका हर मुसलमान को बेसी और बेकरारी से इंतजार रहता है। इस मुकारक ामह में बेइंतहा सवाब (पुण्य) मिलता है। यह पवित्र माह में इंसान को इंसानियत, प्यार मोहब्बत व भाईचारे और इंसान को इंसान के लिए मददगार बनने की राह दिखाता है, जिसकी आज समाज में सख्त जरूरत है। रमजान के दिनों में एक ओर जहां बुराइयों से परहेज किया जाता है वहीं दूसरी ओर इंसानी नेकियों को अमल में लाया जाता है।
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