Delhi: यदि आप गाँव गए होंगे तो आपने वहाँ गोबर का ढेर तो जरूर देखा ही होगा। वहीं शहरों में भी कई जगह पर गोबर का ढेर देखने के लिए मिल जाता है। गोबर का प्रबंधन करना वाकई हर किसी के लिए मुश्किल हो जाता है। हालांकि कई लोगों ने गोबर से तरह तरह के प्रॉडक्ट बनाना भी शुरू कर दिया है जिससे गोबर का प्रबंधन भी आसान हो गया है। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो गोबर से कई प्रॉडक्ट तैयार कर रहे हैं।
इस शख्स का नाम रितेश अग्रवाल हैं जो छत्तीसगढ़ के रायपुर के रहने वाले हैं। रितेश आज गोबर से ही दीये, मूर्ति, बैग, चप्पल, अबीर और गुलाल जैसे प्रॉडक्ट को बना रहे हैं। इस काम को रितेश अपनी संस्था “एक पहल” के तहत ही कर रहे हैं। इससे उन्हें अच्छी ख़ासी कमाई भी हो रही है। आइए जानते हैं
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नौकरी छोड़ शुरू की गौ सेवा
आज के समय में ऐसे कई लोग हैं जो नई नई तकनीक से कई आविष्कार कर रहे हैं। आमतौर पर लोग गोबर को बेकार ही समझते हैं लेकिन आज कहानी एक ऐसी ही शख्स की जिसने गोबर में भी कमाई का जरिया ढूंढा और अपने साथ साथ कई लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया। ये शख्स कोई और नहीं बल्कि एक पहल संस्था के फाउंडर रितेश अग्रवाल हैं जो गोबर से ही कई तरह के प्रॉडक्ट बना रहे हैं। रितेश ने अपनी पढ़ाई लिखाई रायपुर से ही पूरी की है।
2003 में ही रितेश ने अपनी स्नातक की पढ़ाई को पूरा किया और इसके बाद लंबे समय तक कई कंपनियों में भी नौकरी की। इसी बीच रितेश के मन में समाज सेवा का ख्याल आया था। रितेश ने देखा कि कई गाय ऐसे ही घूमती हैं और कचरा खाने से काफी बीमार भी हो जाते हैं। ऐसे में रितेश गायों के लिए कुछ अच्छा करना चाहते थे और वे इसके लिए एक गोशाला से जुड़ गए और गौ सेवा करने लगे।
कई जगह से हासिल की गोबर से प्रॉडक्ट बनाने की ट्रेनिंग
जब गोशाला से जुड़कर रितेश गौ सेवा कर रहे थे तो तब उन्हें गाय से जुड़े कई प्रोजेक्ट पर काम करना का अवसर भी मिला था। ऐसे में रितेश को इस बात का एहसास हुआ कि न दूध देने वाली गाय भी उपयोगी हो सकती है जिसकी गोबर से कई तरह के प्रॉडक्ट भी बनाए जा सकते हैं। वहीं 2018-19 में छत्तीसगढ़ सरकार ने गोठान मॉडल की भी शुरुआत की थी बस रितेश भी इस से जुड़ गए।
वहीं अब रितेश गोबर से ही कई तरह के इको फ्रेंडली प्रॉडक्ट बनाने का काम भी शुरू कर दिया। रितेश ने कई जगह से गोबर के प्रॉडक्ट बनाने की ट्रेनिंग ली। इसके लिए रितेश हिमाचल प्रदेश और जयपुर भी गए थे। यहीं से ही उन्हें गोबर से प्रॉडक्ट बनाने की जानकारी भी मिली थी। इसके बाद ही रितेश ने प्रॉडक्ट बनाना शुरू किया था
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महिलाओं को भी बनाया आत्मनिर्भर
अब ट्रेनिंग लेने के बाद रितेश भी रायपुर ही आ गए थे। यहाँ रितेश ने कई स्थानीय लोगों से इस बारे में बात की थी। वहीं रितेश ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर इस काम के लिए एक समूह को भी तैयार किया था। महिलाओं को इस समूह में प्राथमिकता भी दी गई थी। वहीं महिलाओं को इस काम के लिए ट्रेनिंग भी दी गई थी। इसके बाद गोबर से बैग, चप्पल, दीये और ईंट जैसे कई प्रोडक्टस को बनाना शुरू किया गया।
शुरुआत में ही रितेश इस काम से अच्छा खासा रिस्पोंस भी मिल रहा था। पहले छत्तीसगढ़ और फिर दूसरे राज्यों में भी रितेश ने अपने बनाए प्रॉडक्ट बेचने शुरू कर दिए। धीरे धीरे लोगों को उनके प्रॉडक्ट खूब पसंद आने लगे। आज इस काम से रितेश को हर महीने 3 लाख की कमाई हो रही है। वहीं उनके बनाए प्रॉडक्ट भी कई समस्याओं को हल करने वाले नज़र आ रहे हैं।
गोबर से ही तैयार कर चुके हैं अबीर और गुलाल
धीरे धीरे जब लोगों ने रितेश के प्रोडक्टस को पसंद करना शुरू कर दिया तो रितेश ने भी अपने काम का दायरा बढ़ाना शुरू कर दिया। हाल ही में रितेश ने होली के मौके पर गोबर से ही इकोफ्रेंडली गुलाल और अबीर को तैयार किया था। इसे रितेश ने 300 रूपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा है। वहीं पूरे देश में रितेश अपने प्रोडक्टस की मार्केटिंग भी कर रहे हैं।
आज उनके साथ 13 महिलाएं और 10 पुरुष भी काम कर रहे हैं। वहीं उनके पास आज 400 से ज्यादा गाय भी हैं। आज रितेश गोबर से ही अच्छी ख़ासी कमाई कर रहे हैं। वहीं वे उनसे जुड़ने वाले लोगों को इस काम की ट्रेनिंग भी देते हैं। रितेश के आइडिया को भी अब हर कोई पसंद कर रहा है।