7 मिनट पहले
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लोकसभा चुनाव अब तक फीका लग रहा था। रविवार के एक ही दिन में इसमें रंगत आ गई। एक तरफ़ इंडी गठबंधन ने पहली बार मिलकर रैली की। दूसरी तरफ़ प्रधानमंत्री मोदी इंडी गठबंधन पर जमकर बरसे। संग्राम जमकर हुआ। इधर दिल्ली में। उधर मेरठ में। दिल्ली में इंडी गठबंधन ने सीधे प्रधानमंत्री को निशाना बनाया। राहुल गांधी ने कहा मोदी जी मैच फिक्सिंग कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का बयान कुछ समझ में नहीं आया। लगता है क्रिकेट का उदाहरण देते- देते उन्होंने सेल्फ़ गोल कर लिया।
दरअसल, खरगे ने कह दिया कि मोदी जी ने पिच खोद दी है और हमसे कह रहे हैं कि क्रिकेट खेलो। एक तो इस बयान से कांग्रेस की मजबूरी झलकती है। एक तरह से वॉक ओवर की तरह। क्योंकि खोदी हुई पिच पर तो नहीं ही खेला जा सकता। जहां तक सेल्फ़ गोल वाली बात है, वह ये कि पिच मुंबई में स्वर्गीय बाला साहेब ठाकरे के वक्त खोदी गई थी। उनके बेटे महाराष्ट्र में अनमने मन से ही सही, कांग्रेस के साथ हैं। ऐसे में यह बयान उद्धव ठाकरे को चिढ़ाने जैसा है।
प्रियंका गांधी ने इस रैली में सरकार के सामने पाँच माँगें रखीं। इनमें प्रमुख दो हैं जिनमें चुनाव आयोग से माँग की गई है कि विपक्षी नेताओं पर छापों की कार्रवाई रोकी जाए। दूसरी और महत्वपूर्ण माँग ये है कि गिरफ्तार हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल को तुरंत रिहा किया जाए।
इस रिहाई की माँग के पीछे कांग्रेस का उद्देश्य बचे- खुचे संगठनों या पार्टियों को इंडी गठबंधन से जोड़े रखना है। नीतीश कुमार और ममता बेनर्जी जैसे मज़बूत खम्भे पहले ही उखड़ चुके हैं इसलिए जो कुछ बचा है उसे कांग्रेस समेटे रखना चाहती है।
सोनिया गांधी लोकतंत्र बचाओ महारैली में देर से पहुंची। मंच पर पहुंचते ही सुनीता केजरीवाल ने उनका स्वागत किया। दोनों ने हाथ मिलाकर एक-दूसरे का स्वागत किया।
उधर मेरठ में प्रधानमंत्री मोदी भी इन्हीं मुद्दों पर गरजे। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप भी लगाए और गिरफ्तार विपक्षी नेताओं के खिलाफ भी गरजे। कहा- इन नेताओं ने जितने रुपए डकारे हैं, सरकार उन पैसों को ग़रीबों के कल्याण में लगाएगी। प्रधानमंत्री के इस बयान से साफ़ है कि गिरफ्तार हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल के प्रति सहानुभूति की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। ये सब भ्रष्ट हैं और इन्हें सजा मिलकर रहेगी।
प्रधानमंत्री का कहना था कि अगर विपक्षी नेता पाक- साफ़ हैं तो सुप्रीम कोर्ट उन्हें छोड़ क्यों नहीं रहा है? कुछ तो गड़बड़ होगी ही। कुल मिलाकर बयानों का तीखापन यहाँ- वहाँ आने लगा है। लोकसभा चुनाव के प्रचार में धार आ गई है। यह धार दिन ब दिन और पैनी होती जाएगी।
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