केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि मंत्रालय ने भारत-म्यांमार के बीच फ्री मूवमेंट रिजीम (FMR) को खत्म करने का फैसला लिया है। इससे दोनों देशों के बीच फ्री मूवमेंट बंद हो गया है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा- भारत की आंतरिक सुरक्षा और नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों की डेमोग्राफी को बरकरार रखने के लिए यह फैसला लिया गया है। इससे पहले अमित शाह ने असम में 20 जनवरी को ऐलान किया था कि भारत-म्यांमार के बीच बॉर्डर की फेंसिंग की जाएगी। दोनों देशों के बीच फिलहाल 1600 किमी लंबी बॉर्डर है।
क्या होता है FMR?
भारत म्यांमार के बीच 1600 किलोमीटर का बॉर्डर है। 1970 में दोनों देशों के बीच फ्री मूवमेंट का एग्रीमेंट हुआ था। इसे ही फ्री मूवमेंट रिजीम कहा जाता है। आखिरी बार इसे 2016 में रिन्यू किया गया था। इससे दोनों देशों के लोगों को एक दूसरे के क्षेत्र में बिना किसी डॉक्युमेंट के जाने की इजाजत मिलती है।
म्यांमार के 600 सैनिक मिजोरम में घुस आए थे
शाह ने यह घोषणा उस वक्त की है जब म्यांमार में विद्रोही गुटों और सेना के बीच लड़ाई तेज हो रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नवंबर से अब तक भारत में 600 सैनिक घुस आए थे। मिजोरम सरकार ने इस मुद्दे को लेकर केंद्र से मदद मांगी थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जनवरी में म्यांमार से भागे सैनिकों ने मिजोरम के लांग्टलाई जिले के तुईसेंटलांग में असम राइफल्स के पास शरण थी। सैनिकों ने बताया था कि पश्चिमी म्यांमार राज्य के रखाइन में एक हथियारबंद विद्रोही गुट अराकन आर्मी (AA) के उग्रवादियों ने उनके शिविरों पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद वे भागकर भारत आए।
तस्वीर लांग्टलाई जिले के बॉन्डुकबंगसोरा गांव में बैठे म्यांमार सैनिकों की है।
अराकन आर्मी म्यांमार का सबसे ताकतवर विद्रोही गुट
बीते एक दशक में अराकन आर्मी म्यांमार में सबसे ताकतवर विद्रोही गुट बनकर उभरा है। मिजोरम और म्यांमार के चिन प्रांत के बीच 510 किलोमीटर लंबी सीमा है।
म्यांमार शरणार्थी भारतीय बॉर्डर कैसे आसानी से पार कर लेते हैं
यंग मिजो एसोसिएशन के सचिव लालनुन्तलुआंगा कहते हैं कि भारत और म्यांमार की सीमा से इधर-उधर जाना आसान है। बॉर्डर के दोनों तरफ 25 किलोमीटर तक जाने की छूट है। ऐसे में म्यांमार से लोग आसानी से भारत पहुंच जाते हैं।
आइजॉल के गवर्नमेंट जॉनसन कॉलेज में प्रोफेसर डेविड लालरिनछाना का कहना है कि म्यांमार के चिन और मिजोरम के मिजो लोगों के बीच अच्छे रिश्ते हैं। ये अपने को एक-दूसरे के पूर्वज मानते हैं। यही वजह है कि चिन विस्थापितों लोगों को मिजोरम में सहयोग मिलता है।
म्यांमार में फरवरी 2021 में तख्तापलट के बाद से अवैध प्रवासियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इस दौरान करीब 40 हजार शरणार्थियों से मिजोरम में पनाह ली। वहीं करीब 4 हजार रिफ्यूजी मणिपुर पहुंचे।
म्यांमार में तख्तापलट के बाद सेना ने इमरजेंसी की घोषणा की
फरवरी 2021 में म्यांमार में सेना ने लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर सस्ता पर कब्जा कर लिया। वहां की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन मिंट समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था।
इसके बाद मिलिट्री लीडर जनरल मिन आंग हलिंग ने खुद को देश का प्रधानमंत्री घोषित कर दिया था। सेना ने देश में 2 साल के आपातकाल की घोषणा की थी। इसके बाद से म्यांमार में गृह युद्ध चल रहा है, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं। मिजोरम पुलिस के मुताबिक, बीते कुछ महीनों से भारत-म्यांमार सीमा के आसपास गतिविधियां बढ़ी हैं। हजारों की संख्या में म्यांमारी लोग भारतीय सीमा में प्रवेश कर रहे हैं।