Advertisement
एस• के • मित्तल
सफीदों, उपमंडल के गांव सरनाखेड़ी स्थित भक्ति योग आश्रम में स्थित महामृत्युंजय प्राकृतिक चिकित्सालय में दो दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का शुभारंभ आयुर्वेदाचार्य डा. शंकरानंद सरस्वती ने किया। इस मौके पर साध्वी मोक्षिता भी विशेष रूप से मौजूद थीं। इस मौके पर प्राकृतिक चिकित्म्सा से जुड़ी डाक्टरों की टीम ने आए हुए मरीजों का नि:शुल्क इलाज देकर उन्हे उचित परामर्श दिया।
सफीदों, उपमंडल के गांव सरनाखेड़ी स्थित भक्ति योग आश्रम में स्थित महामृत्युंजय प्राकृतिक चिकित्सालय में दो दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का शुभारंभ आयुर्वेदाचार्य डा. शंकरानंद सरस्वती ने किया। इस मौके पर साध्वी मोक्षिता भी विशेष रूप से मौजूद थीं। इस मौके पर प्राकृतिक चिकित्म्सा से जुड़ी डाक्टरों की टीम ने आए हुए मरीजों का नि:शुल्क इलाज देकर उन्हे उचित परामर्श दिया।
बता दें कि यह शिविर विशेष रूप से डा. शंकरानंद सरस्वती के 66वें जन्मोत्सव पर लगाया गया था। अपने संबोधन में डा. शंकरानंद सरस्वती ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा हमें हजारों वर्षों पूर्व ऋषि-मुनियों ने प्रदान की थी। आज की भागभाग की जिंदगी में समाज का बहुत बड़ा तबका बीमारियों से ग्रस्त है। उन बीमारियों के स्थाई समाधान में प्राकृतिक चिकित्सा बेहद कारगर है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा शरीर की बाहरी बीमारियों को ही ठीक नहीं करती बल्कि अंदरूनी बीमारियों को बाहर निकालती है। प्राकृतिक चिकित्सा एक्यूपंक्चर, जड़ी-बूटियों, मालिश, शारीरिक जोड़तोड़, होम्योपैथी, जल चिकित्सा, पोषण संबंधी परामर्श के सिद्धांतों पर आधारित है।
यह उपचार दीर्घकालिक बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए लाभ प्रदान करता है। यह उपचार स्फूर्तिदायक, ऊर्जा और शक्ति प्रदान करने वाला है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा सकारात्मक सोच को उत्तेजित करती है, तनाव, चिंता और अवसाद को कम करती है, समग्र स्वास्थ्य में सुधार करती है, दृष्टिकोण को बढ़ाती है, आशावाद को बढ़ाती है, स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से निपटने की क्षमता में सुधार करती है।
Advertisement