बिहार की बेटी की साइकिल यात्रा पहुंची करनाल: एक सलाम शहीदों नाम को लेकर निकाली यात्रा, 2957 KM का सफर तय कर पहुंचेगी बांग्लादेश

 

देर शाम को साइकिल यात्रा के साथ कर्ण स्टेडियम में पहुंची सबिता।

एक सलाम शहीदों के नाम, देश के सच्चे हीरोज को नमन करने के लिए बिहार के छपरा की बेटी और साइकिलिंग में वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर सबिता महतो अपनी साइकिल पर निकली है। सबिता ने कश्मीर से अपनी साइकिल यात्रा शुरू की है और वह 2957 किलोमीटर का सफर तय करके बांग्लादेश के ढाका में पहुंचेगी। राइड फ़ॉर रियल हीरोज के लक्ष्य के साथ निकली सबिता महतो की सोलो राइड बुधवार की देर रात करनाल पहुंची। जहां पर समाजसेवियों और स्पोर्ट्स के बच्चों ने सबिता का स्वागत किया और सबिता के दृढ संकल्प से प्रेरणा लेने की बात कही।

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सबिता बताती है कि डिफेंस से उसका गहरा नाता रहा है और डिफेंस के सपोर्ट से ही उसने अपना मुकाम हासिल किया है। उसके जैसे बहुत से इंडियन है जो डिफेंस का धन्यवाद बोलना चाहते है लेकिन बोल नहीं पाते है। लेकिन साइकिल राइड के जरिये उसको मौका मिला है कि वह अपने देश के रियल हीरोज को धन्यवाद बोल सके। उन्ही रियल हीरोज के बीच वह जा रही है। इससे उन्हें भी प्रेरणा मिलती है कि देश की एक बेटी उनके लिए राइड पर निकली है और वह भी धन्यवाद बोलने के लिए। क्योंकि देश के रियल हीरोज देशवासियों के लिए दिन रात डटे रहते है तो एक थैंक्स सोलो राइड तो उनके लिए बनती ही है।

कर्ण स्टेडियम में पहुंचने पर सबिता का स्वागत करते खिलाड़ी।

कर्ण स्टेडियम में पहुंचने पर सबिता का स्वागत करते खिलाड़ी।

बिना आर्मी बैग राउंड मिला ब्रिगेडियर का साथ

सबिता बताती है कि उसने आल इंडिया राइड किया हुआ है और इस बीच वह डिफेंस के बीच भी गई थी। जहाँ पर उसे न सिर्फ आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली बल्कि डिफेंस का साथ भी मिला। सबसे पहले उसे ब्रिगेडियर रणविजय सिंह का साथ मिला था और उसके बाद डिफेंस का हमेशा साथ मिलता रहा। जब उसने साइकिलिंग की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया तो उस समय उसके पास शब्द नहीं थे कि वह डिफेंस का किस तरह से थेंक्स करे। उस समय ब्रिगेडियर सर ने कहा था कि अगर कभी बड़ी राइडर बन जाती हो तो एक राइड देश के जवानों के लिए जरूर निकालना तो आज वही राइड है “एक सलाम सिपाहियों के नाम”।

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उरी कमान अमन सेतु से ढाका तक का है सफर

सबिता को साइकिल पर निकले दस दिन हो चुके है। सबिता बताती है कि उसकी साइकिल यात्रा कश्मीर के उरी कमान अमन सेतु से शुरू हुई थी और अटारी बॉर्डर पर भी उसका भव्य स्वागत किया गया था। उसके वह पंजाब से होती हुई अंबाला से करनाल पहुंची है। इससे पहले भी उसने बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान तक का साइकिलिंग किया है।

साइकिल पर लगे लॉगो का दृश्य।

साइकिल पर लगे लॉगो का दृश्य।

हाईएस्ट मोटरेबल रोड का रिकॉर्ड बनाने वाली पहली लड़कीं

​​​​​​​सबिता बताती है कि उसका रिकॉर्ड हाईएस्ट मोटरेबल रोड ऑफ दा वर्ल्ड का है। जो बीती 28 जून को है। जिसकी हाइट 5800 मीटर से ऊपर है और इस ऊंचाई तक पहुंचने वाली वह वर्ल्ड की पहली लड़कीं है।

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बाहर निकले और अपने सपनो को उड़ान दे

सबिता कहती है यदि आप बदलाव चाहते है तो आपको अकेले ही मैदान में उतरना पड़ेगा। आज के दौर में माता पिता अपनी बेटियों को घर से बाहर भी नहीं निकलने देते, लेकिन वह एक रिवोल्यूशन के लिए घर से बाहर निकली है। जब उसने साइकिलिंग के क्षेत्र में कदम रखा था तो उस समय भी उसे घर वालो का साथ नही मिला था, लेकिन अब घरवालों के साथ साथ दूसरे लोगों का भी साथ मिला है। इसे दूसरी बेटियों को भी प्रेरणा मिलेगी कि वे भी घरों से बाहर निकले और अपने सपनो को पूरा करे।

 

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