पूर्व सैनिक का लिवर ट्रांसप्लांट करने डॉक्टर्स एयरलिफ्ट: वायुसेना ने शॉर्ट नोटिस पर डोर्नियर भेजा; लिवर लेने दिल्ली से पुणे पहुंची टीम

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पूर्व सैनिक का लिवर ट्रांसप्लांट करने डॉक्टर्स एयरलिफ्ट:  वायुसेना ने शॉर्ट नोटिस पर डोर्नियर भेजा; लिवर लेने दिल्ली से पुणे पहुंची टीम
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सही समय पर ट्रांसप्लांट सर्जरी से पूर्व सैनिक की जान को बचाया जा सका।

भारतीय वायु सेना (IAF) ने शुक्रवार (23 फरवरी) को अपने डोर्नियर एयरक्राफ्ट को एक पूर्व सैनिक के लिवर ट्रांसप्लांट के लिए शॉर्ट नोटिस पर भेजा। नई दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती जवान के लिवर के लिए डॉक्टर्स को पुणे भेजा गया। यहां से लिवर लेकर टीम को वापस दिल्ली एयरलिफ्ट किया गया, जिससे पूर्व सैनिक की जान बच पाई।

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वायुसेना ने X पर पोस्ट करने के साथ कुछ तस्वीरें भी शेयर की। इन तस्वीरों में डॉक्टर्स की टीम को वायुसेना के जवानों के साथ देखा जा सकता है। साथ ही एक तस्वीर डॉक्टर्स के ट्रांसप्लांट के दौरान की भी शेयर की गई है।

अंगदान या ऑर्गन डोनेशन क्या है
अंगदान किसी जीवित या मृत व्यक्ति के शरीर से किसी अंग विशेष को लेकर उसे जरूरतमंद व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट करना है। अंगदान कर रहा व्यक्ति डोनर और उसे प्राप्त कर रहा व्यक्ति रिसीवर कहलाता है।

हमारे शरीर के कुछ हिस्से जैसे पार्शियल लिवर (लिवर का कुछ हिस्सा) और एक किडनी जीवित रहते हुए भी डोनेट की जा सकती है। इसके अलावा शरीर के बाकी हिस्से मृत्यु के तुरंत बाद कुछ घंटों तक काम करते रहते हैं। यदि उस दौरान उन अंगों को निकालकर किसी जरूरतमंद व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाए तो कइयों को जीवनदान मिल सकता है।

भारत में ऑर्गन डोनेशन को लेकर क्या कानून है
ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशूज एक्ट (Transplantation of Human Organs & Tissues Act) जीवन बचाने के लिए मानव अंगों के सर्जिकल रिमूवल, ट्रांसप्लांटेशन और उसके रख-रखाव के नियमों को सुनिश्चित करता है। साथ ही इस कानून मानव अंगों की तस्करी रोकने के लिए भी कठोर प्रावधान हैं।

 

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इस कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति का ब्रेन स्टेम डेड होना मृत्यु का प्रमाण है। इसके बाद परिवार की सहमति से उसके शरीर के अंग और टिशूज डोनेट और ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं। इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए इस कानून से जुड़ी रेगुलेटरी और एडवायजरी बॉडी है, जो पूरी प्रक्रिया की निगरानी करती है।

इस कानून के मुताबिक लिविंग ऑर्गन डोनेशन की स्थिति में डोनर डायरेक्ट ब्लड रिलेशन का ही हो सकता है। पैसे लेकर ऑगर्न की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने के लिए यह प्रावधान किया गया है।

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