पंखा मेले की तैयारियां:: आकर्षण का केंद्र होंगी 15  झांकियां एवं 15 बैंडबाजे, हरियाणवी और बृज के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे

 

फरीदाबाद। पंखा मेले को लेकर मंगलवार को ओल्ड फरीदाबाद में लखन सिंगला के कार्यालय में मीटिंग करते मेला कमेटी के पदाधिकारी।

  • ऐतिहासिक पथवारी मंदिर में रक्षाबंधन पर लगने वाले पंखा मेले की ‌भव्य तैयारियां की गई हैं।

फरीदाबाद के ऐतिहासिक पथवारी मंदिर में रक्षाबंधन पर लगने वाले पंखा मेले की ‌भव्य तैयारियां की गई हैं। मेले में मनमोहक झांकियां और दूर-दूर से आने वाले बैंड आकर्षण का केंद्र होंगे। पंखा मेले को लेकर मंगलवार को ओल्ड फरीदाबाद में लखन सिंगला के कार्यालय में एक मीटिंग हुई। इसमें मेला के चेयरमैन शिवशंकर भारद्वाज, मेला प्रधान सुरेंद्र यादव, प्रधान मंत्री रोहित सिंगला, वरिष्ठ उपप्रधान ओपी भाटी, सुरेंद्र अग्रवाल, विजय कुमार, हरविंदर गुप्ता, संजय शर्मा, टीकाराम नागर, संतलाल रावत, संदीप वर्मा, महासचिव अनिल शर्मा, कोषाध्यक्ष कपूर चंद्र अग्रवाल आदि मौजूद थे। बैठक की अध्यक्षता समारोह के चेयरमैन एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता लखनकुमार सिंगला ने की। इस दौरान सिंगला ने बताया कि मेले में मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा व विशिष्ट अतिथि कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष चौधरी उदयभान होंगे। जबकि समारोह की अध्यक्षता पूर्व विधायक ललित नागर करेंगे।

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सिंगला ने बताया 11 अगस्त को शाम 3 बजे मां पथवारी मंदिर में रक्षाबंधन बर भव्य पंखा मेले का आयोजन होगा। इसके लिए भव्य तैयारियां की गई हैं। उन्होंने बताया मथुरा, बृज, दिल्ली, राजस्थान, वृंदावन आदि जगह से 15 झांकियों के साथ ही भारत बैंड, पंजाब बैंड, महाराजा बैंड मीरपुर से, कमल बैंड पलवल से, बंचारी से नगाड़े, कृष्णा बैंड चंडीगढ़ से, राजा बैंड मेरठ से, सूरज बैंड सोनीपत से, योगेश बैंड फरीदाबाद, रवि साईं बैंड जबलपुर से, जवाहर बैंड, महाराजा बैंड हिसार आदि 15 बैंड शामिल होंगे। मेले में बंचारी का नगाड़ा भी आकर्षण का केंदऱ् होगा।

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इस दौरान 21 घोड़े, 3 घोड़ियां, एक ध्वज भी होगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि दीपेंद्र हुड्डा शहर के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं उद्योगपतियों को सम्मानित करेंगे। सिंगला ने बताया मेले में मैया का पंखा सबसे आगे चलता है। उसके बाद झांकियां, ढोल नगाड़े व बैंड होते हैं। मेले में मुख्य आकर्षण का केंद्र गणेशजी, वैष्णो देवी, परशुराम भगवान, अंबेडकर, अग्रसेनजी, शिव पार्वती, चामुंडा देवी, हनुमानजी, वाल्मीकिजी, खाटू श्याम की झांकियां एवं राम दरबार होगा। उन्होंने कहा मेले की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। मेला हर साल की अपेक्षा इस बर और अधिक आकर्षक एवं लुभावना होगा।

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संस्कृति और आस्था का पऱ्तीक है पंखा मेला:

फरीदाबाद में रक्षाबंधन पर प्रतिवर्ष लगने वाला पंखा मेला जहां संस्कृति और आस्था का पऱ्तीक है, वहीं यह मेला सांप्रदायिक सौहार्द का भी प्रतीक है। कुलदेवी पथवारी माता का पंखा मुस्लिम परिवार तैयार करता है। पथवारी माता के प्रति आस्था के चलते फरीदाबाद के लोग देश के कोने-कोने और विदेश में बसे भी इस दिन पंखा चढ़ाने पहुंचते हैं। इस बार मेला 11 अगस्त को होगा। रविवार को पुराना फरीदाबाद के सिंगला परिवार से पंखा उठाया और यह परिवार मुख्य यजमान के नाते परम्पराएं पूरी करेगा। पंखा बनाने का काम गाजियाबाद के अजीजुद्दीन के परिवार ने किया है। पथवारी माता का मुख्य पंखा रक्षाबंधन से पहले मुख्य यजमान के घर पहुंच जाएगा। इसी के साथ मेले की तैयारी शुरू हो जाती हैं।

पंखा कमेटी के पदाधिकारियों ने बताया कि इस बार पंखा मेला नए रंगरूप में होगा। बैंड बाजों के बीच पथवारी मां के पंखे की सवारी निकलेगी। इसके बाद झांकियां और बैंडबाजों की श्रृंखला होगी। लोगों की मनोकामनाएं पूरी करने वाली पथवारी मंदिर वाली देवी मां को लोग श्रद्धापूर्वक पंखा अर्पित करेंगे। प्राचीन पंखा मेले को तीन भागों में बांटा गया है। पहला देवी मां पर पंखा चढ़ाने से लेकर पहले शहरभर में झांकिया निकाली जाएंगी। दूसरे में मेले में स्वांग व दंगल का आयोजन होगा और अंतिम भाग में इसका समापन समारोह होगा।

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प्राचीन पंखा मेले का क्या है इतिहास:

ऐसा माना जाता है कि फरीदाबाद गांव में काफी वर्षों पहले चेचकनुमा कोई भयंकर बीमारी फैली थी। उसी दौरान गांव के मुख्य रास्ते के निकट एक अष्टभुजाधारी देवी की मूर्ति निकली। उसी स्थान पर गांव के लोगों ने इस मूर्ति का मंदिर बना दिया, जिससे इस मंदिर का नाम पथवारी मंदिर पड़ा। परंपरा और आस्था है कि गांव के लोग देवी मां को प्रसन्न करने के लिए अपने हाथ से बनाए गए कपड़े के पंखे अर्पित करते हैं तो गांव भयंकर आपदा से मुक्त रहता है।

हरियाणवी और बृज संस्कृति के होंगे कार्यक्रम

पंखा मेले में हरियाणा और बृज संस्कृति के कार्यक्रमों का आयोजन होगा। इसमें स्वांग और हरियाणावी रागनी के कार्यक्रम होंगे। नई पीढ़ी को इस सभ्यता-परम्परा से अवगत कराने के लिए मेले में स्वांग का आयोजन तय किया गया है। आल्हा-ऊदल, पूरणमल और अमर सिंह राठौर जैसे महापुरुषों का जीवन चरित्र स्वांग में प्रस्तुत किया जाएगा। लोककथाओं को लोकगीत, संगीत व नृत्य के कार्यक्रम होंगे।

 

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