नॉन-स्मोकर का धुंए में घुटा दम: कंज्यूमर कमीशन ने चंडीगढ़ के बार्गेन बूज़ को ठोका 7 हजार रुपए हर्जाना

चंडीगढ़ सेक्टर 26 के M/s बार्गेन बूज़ में स्मोकर्स और नॉन-स्मोकर्स के बीच अलग सिटिंग अरेंजमेंट न होने से पार्टी करने आए नॉन-स्मोकर शिकायतकर्ता और उसके दोस्तों को दिक्कत का सामना करना पड़ा। मामले में चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कमीशन में शिकायत दायर की गई। केस की सुनवाई करते हुए कमीशन ने सेक्टर 26 में SCO 33 के बैक साइड बने M/s बार्गेन बूज़ और GBS हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड को शिकायतकर्ता को हुई मानसिक पीड़ा और शोषण के चलते 7 हजार रुपए हर्जाना तथा 5 हजार रुपए अदालती खर्च के रूप में देने को कहा है।

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कमीशन ने कहा कि रेस्टोरेंट में चेतावनी बोर्ड नहीं लगाए गए थे कि स्मोकिंग सेहत के लिए हानिकारक है। वहीं रेस्टोरेंट में स्मोकिंग और नॉन-स्मोकिंग एरिया नहीं रखा गया था। ऐसे में नॉन-स्मोकर्स को ‘पैसिव स्मोकिंग’ से सेहत को नुकसान पहुंच सकता था। इस प्रकार का व्यापार स्मोकिंग और नॉन-स्मोकिंग एरिया बना कर चलाया जा सकता था। वहीं इसके लिए संबंधित अथॉरिटी से ट्रेड रजिस्टर्ड करवाना और लाइसेंस लेना भी ज़रुरी था।

कमीशन ने कहा कि मौजूदा केस में रिकार्ड में नहीं आया कि प्रतिवादी पक्ष इस प्रकार का व्यापार संबंधित अथॉरिटी से लाइसेंस प्राप्त कर चला रहा था। वहीं रेस्टोरेंट में नॉन-स्मोकिंग ज़ोन भी नहीं था। शिकायतकर्ता प्रतिवादी पक्ष की सेवा में कोताही और गलत व्यापारिक गतिविधियों में शामिल होने को साबित करने में सफल रहा।

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प्रतीकात्मक तस्वीर।

प्रतीकात्मक तस्वीर।

दोस्तों संग पार्टी करने गए थे, धुंए में दम घुटने लगा
जीरकपुर के दशमेश नगर निवासी संजय जांगरा ने कहा कि M/s बार्गेन बूज़ और GBS हॉस्पिटैलिटी बार्गेन बूज़ नाम से रेस्टोरेंट चलाते हैं। 21 अक्तूबर, 2019 को शिकायतकर्ता अपने दोस्तों के साथ पार्टी के लिए यहां गया था। रेस्टोरेंट में दाखिल होते ही उनका दम घुटने लगा क्योंकि वहां बाकी मेहमान खुले में हुक्का पी रहे थे। ऐसे में बार्गेन बूज़ के मैनेजर को बुला शिकायतकर्ता ने नॉन-स्मोकिंग ज़ोन में उनका टेबल शिफ्ट करने को कहा। हालांकि उन्हें मैनेजर ने बताया कि उनके पास स्मोकिंग के लिए अलग स्पेस नहीं है। उसने शिकायतकर्ता और उसके दोस्तों को फ्लेवर्ड हुक्का स्मोक करने को कहा। शिकायतकर्ता और उसके दोस्तों ने मना कर दिया।

इसके बाद शिकायतकर्ता और उसके दोस्तों का टेबल कार्नर पर लगा लिया। हालांकि शिकायतकर्ता और उसके दोस्त पार्टी इंजॉय नहीं कर पाए क्योंकि कुछ देर में नौजवान गेस्ट आए और उनके पीछे लगाए टेबल पर हुक्का पीने लगे। इससे शिकायतकर्ता और उनके दोस्तों को घुटन होने लगी।

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मैनेजर को शिकायत दी तो उसने कहा-आप भी लेकर देखें
शिकायतकर्ता ने मैनेजर को बुलाया और इस गैरकानूनी काम(हुक्का पीने) को बंद करने को कहा। इस पर मैनेजर ने कहा कि वह असहाय हैं और वह रेस्टोरेंट में फ्लेवर्ड हुक्का सर्व करते हैं। वहीं इसमें से निकलने वाला धुआं सेहत के लिए हानिकारक नहीं है। वह शिकायतकर्ता और उसके दोस्तों को हुक्का टेस्ट करने को कहने लगा। हालांकि शिकायतकर्ता के दोस्त ने मना कर दिया। उन्हें बताया गया कि रेस्टोरेंट में निकोटीन फ्री हुक्का सर्व किया जाता है। ऐसे में मैनेजर ने शिकायतकर्ता और उसके दोस्तों को एक हुक्का सर्व कर दिया। जब शिकायतकर्ता ने हुक्के की एक सांस भरी तो उन्हें पता लगा कि इसमें निकोटीन के ‘कंटेंट’ हैं। इसकी जानकारी मैनेजर को दी गई तो उसने कहा कि निकोटीन का कुछ कंटेंट फ्लेवर के लिए हैं। यह सेहत के लिए हानिकारक नहीं है।

ऐसे में मैनेजर से फ्लेवर का पैकेट दिखाने को कहा गया मगर मैनेजर ने मना कर दिया। ऐसे में शिकायतकर्ता को विश्वास हो गया कि फ्लेवर्ड हुक्का के नाम पर निकोटीन वाला हुक्का सर्व किया जा रहा है। शिकायतकर्ता ने मैनेजर को कहा कि वह उसे हुक्का बेच दे ताकि वह इसके कंटेंट को लैबोरेटरी से टेस्ट करवा सकें। हालांकि मैनेजर ने मना कर दिया।

वर्ष 2003 के एक्ट की उल्लंघना बताया
शिकायतकर्ता ने मैनेजर को कहा कि वह बिल में से हुक्का का ऑर्डर(700 रुपए) कैंसिल कर दे। हालांकि मैनेजर ने मना कर दिया। शिकायतकर्ता ने पाया कि गेस्ट जिनमें नाबालिग भी थे, उन्हें निकोटीन वाला हुक्का बिना उनकी उम्र देखे खुले में सर्व किया जा रहा है। इसे द सिगरेट एंड अदर टोबेको प्रोडक्ट्स(प्रोहिबिशन ऑफ एडवर्टाइजमेंट एंड रेगुलेशन ऑफ ट्रेड एंड कॉमर्स, प्रोडक्शन, सप्लाई एंड डिस्ट्रीब्यूशन) एक्ट, 2003 की धारा 6 की उल्लंघना की जा रही थी। इसमें 18 साल की उम्र से कम के व्यक्ति(नाबालिग) को तंबाकू प्रोडक्ट बेचना प्रतिबंधित है।

सेक्टर 19 स्थित डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कमीशन में शिकायत दायर की गई थी।

सेक्टर 19 स्थित डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर कमीशन में शिकायत दायर की गई थी।

वहीं रेस्टोरेंट में 18 वर्ष से कम वाले को तंबाकू प्रोडक्ट बेचने पर प्रतिबंध संबंधी कोई चेतावनी भी नहीं लगाई हुई थी। वहीं शिकायतकर्ता ने वह फोटो भी क्लिक की थी जिनमें रेस्टोरेंट में लिखा था कि वह अपने गेस्ट को हुक्का सर्व करते हैं।

शिकायतकर्ता ने प्रतिवादी पक्ष के इस कृत्य को वर्ष 2003 के एक्ट की उल्लंघना, सेवा में कोताही और गलत व्यापारिक गतिविधियों में शामिल होना बताया। इससे शिकायतकर्ता और उनके दोस्तों को मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी। प्रतिवादी पक्ष को यह कृत्य बंद करने को कहा गया मगर कुछ नहीं बना। ऐसे में कंज्यूमर कमीशन में शिकायत दायर की गई। कमीशन के समक्ष शिकायतकर्ता ने हुक्का ‘मोकटेल नाइट’ का बिल पेश किया। वहीं फोटो पेश की जिसके जरिए बताया गया कि रेस्टोरेंट में हुक्का सर्व किया जा रहा था। इससे चारों तरफ धुआं फैल गया था। कमीशन ने फोटो देखते हुए कहा कि नौजवान लड़के और लड़कियां हुक्के का सेवन कर रहे थे।

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निकोटीन का इस्तेमाल साबित नहीं हुआ
कमीशन में हुक्के में निकोटीन मिले होने के आरोपों पर कहा कि शिकायतकर्ता ने अपना मेडिकल नहीं करवाया था। वहीं ऐसा कोई सबूत रिकार्ड में नहीं था कि हुक्के में निकोटीन मिलाया हुआ था। ऐसे में यह कहना सही नहीं होगा कि शिकायतकर्ता द्वारा इस्तेमाल हुक्के में निकोटीन था। कमीशन ने प्रतिवादी पक्ष को वर्ष 2003 के एक्ट के तहत सिगरेट/हुक्का बेचने पर प्रतिबंध लगाया है। वहीं एक्ट के तहत आवश्यक जरूरतों को पूरा करते हुए ट्रेड को लाइसेंस एवं रजिस्टर्ड करने के आदेश भी दिए गए हैं।

 

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