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3 घंटे पहले
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टी प्रभाकर राव तेलंगाना के पूर्व खुफिया ब्यूरो चीफ थे। इन्हीं के आदेश पर विपक्षी नेताओं के फोन टैप किए गए।
तेलंगाना में चल रहे फोन टैपिंग के मामले में हैदराबाद पुलिस ने राज्य खुफिया ब्यूरो (SIB) के पूर्व चीफ टी प्रभाकर राव को मुख्य आरोपी बताया। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक टी प्रभाकर राव फिलहाल अमेरिका में है और उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया है। राव के आदेश पर बीआरएस सरकार के दौरान विपक्षी नेताओं के फोन को अवैध रूप से टैप कर डेटा हासिल किया गया था।
अन्य पुलिस अधिकारियों की जांच कर रही पुलिस
फिलहाल हैदराबाद में राव के घर की तलाशी ली गई है। 10 से ज्यादा स्थानों पर भी सर्चिंग की गई है, जिसमें श्रवण राव का घर भी शामिल है। श्रवण राव आई न्यूज के नाम से एक तेलुगु टीवी चैनल चलाते हैं।
श्रवण राव के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने देश से बाहर रहकर स्थानीय स्कूल के परिसर से फोन-टैपिंग इक्विपमेंट और सर्वर स्थापित करने में मदद की थी। इस संबंध में तेलंगाना के कई अन्य पुलिस अधिकारियों की भी जांच की जा रही है।
तेलंगाना में फोन टैपिंग का मामला चर्चा में है। तेलंगाना के पूर्व सीएम चंद्रशेखर राव के कार्यकाल में विपक्षी नेताओं का फोन टैप कर डेटा हासिल किया गया।
तीन अधिकारियों को किया जा चुका है गिरफ्तार
मामले में तीन अधिकारियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसमें एडिशनल डीसीपी तिरुपतन्ना, एडिशनल एसपी एन भुजंगा राव और डिप्टी एसपी प्रणीत राव शामिल हैं। पुलिस ने कहा है कि पिछले हफ्ते गिरफ्तार किए गए भुजंगा राव और तिरुपथन्ना ने अवैध रूप से निजी व्यक्तियों के फोन टैप करने और सबूत मिटाने की बात कबूल की है। एन भुजंगा तेलंगाना में बीआरएस सरकार के दौरान सीएम सुरक्षा प्रकोष्ठ में तैनात थे। आरोप है कि बीआरएस कार्यकाल के दौरान विपक्षी नेताओं की निगरानी के लिए उनके फोन टैप किए गए।
वहीं, तिरुपतन्ना पर उन निगरानी दलों का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया है, जो कथित तौर पर विपक्षी राजनेताओं के टेलीफोन कॉल को सुनते थे। वह SIB के पूर्व प्रमुख टी. प्रभाकर राव को रिपोर्ट करते थे। टी प्रभाकर राव भी इस मामले की जांच के दायरे में हैं।
प्रभाकर राव के आदेश पर सबूत मिटाए गए थे
डिप्टी एसपी प्रणीत राव को इस महीने की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था। उन पर अज्ञात लोगों की प्रोफाइल बनाने और अवैध रूप से उन लोगों की जासूसी करने के आरोप थे। इसके अलावा उन पर कंप्यूटर सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के डेटा को डिलीट करने का भी आरोप लगाया गया था। कहा जा रहा है कि प्रभाकर राव के आदेश पर सबूत नष्ट किए गए थे। यह आदेश कथित तौर पर 2023 के चुनाव में कांग्रेस के बीआरएस को हराने के एक दिन बाद दिया गया था।
जिन लोगों पर नजर रखी गई थी, उनमें मौजूदा मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के साथ-साथ बीआरएस के लोग भी शामिल थे। इसके अलावा तेलुगु एक्टर्स और कारोबारियों भी सर्विलांस पर थे।
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