कहा: परंपरागत कृषि से हटकर किसान देंगे गन्ना खेती पर ध्यान
एस• के• मित्तल
सफीदों, डाहर (पानीपत) में 356 करोड़ की लागत से बने शुगर मिल से सफीदों इलाके के गन्ना किसानों का भला होगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के हाथों शुरू हुआ यह मिल 70 एकड़ में स्थापित हुआ है तथा इसमें अत्याधुनिक मशीनें स्थापित की गई हैं। यह बात सफीदों विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी रहे पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य ने कही। वे नगर के आर्य सदन में कार्यकत्र्ताओं की बैठक को संबोधित कर रहे थे। कार्यकत्र्ताओं ने पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य का जोरदार अभिनंदन किया। इस मौके पर बचन सिंह आर्य ने ग्रामीणों की समस्याओं को सुना और उनके निराकरण करवाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि इस मिल के शुरू होने से सफीदों इलाके में गन्ने का रकबा बढ़ेगा क्योंकि इस इलाके के हर तरफ शुगर मिल स्थापित हो चुकी है।
अमृत सरोवर योजना के तहत गांवों में होगा तालाबों का विकास: डा. आनंद कुमार शर्मा
सफीदों इलाका पहले से जींद व फफड़ाना (करनाल) से जुड़ा हुआ है तथा अब यह डाहर (पानीपत) शुगर मिल के साथ भी जुड़ गया है। इससे यहां के किसानों को गन्ना भिजवाने व भुगतान प्राप्त करने में आसानी होगी। इसके अलावा किसान परंपरागत धान व गेंहू की फसलों से हटाकर गन्ने की फसल पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा। उन्होंने बताया कि 356 करोड़ रुपये की लागत बनी शुगर मिल पूरी तरह से अत्याधुनिक है। मिल में पुराने के मुकाबले लगभग तीन गुना गन्ना पिराई हो सकेगी। इसके अलावा इस चीनी मिल में 28 मेगावाट बिजली के उत्पादन की यूनिट (टरबाइन) भी स्थापित की गई है।
सात मेगावाट बिजली प्लांट में खर्च होगी और 21 मेगावाट बिजली एचवीपीएनएल को दी जाएगी। बचन सिंह आर्य ने कहा कि सरकार ने अमृत सरोवर मिशन के तहत प्रदेश के तालाबों का जिर्णोद्वार का बीड़ा उठाया है, जिसकी शुरूआत मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कर दी है। इस योजना से गांव में पशुओं को पीने के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध होगा, इसके अलावा आवश्यकता अनुसार ग्रामीण किसान तालाब में संचित पानी का प्रयोग अपने खेतों की सिंचाई के लिए भी कर सकेंगे।
Tata Motors 29 अप्रैल को लाएगी नई इलेक्ट्रिक कार, क्या Altroz EV को लॉन्च करने की है तैयारी? तालाब के चारों और सुन्दर पेड़-पौधे एवं पार्कों की व्यवस्था भी होगी। उन्होंने कहा कि लोगों को पानी के भंडारण के प्रति प्रत्येक व्यक्ति को साकारात्मक नजरिया अपनाना होगा। अगर हम अब भी नहीं चेते तो आने वाले समय में भूमिगत जल भी कम हो जाएगा जो भावी पीढ़ी के लिए ज्वलंत समस्या होगी।