एस• के• मित्तल
सफीदों, जिला पार्षदों को बढ़ा हुआ अपमान भत्ता नहीं चाहिए बल्कि अपने वार्ड के समान विकास के लिए पर्याप्त ग्रांट देने का काम सरकार करे। यह बात वार्ड 25 के जिला पार्षद विकास शर्मा मुआना ने कही। शर्मा ने कहा कि एक जिला पार्षद तीस हजार वोटों का प्रतिनिधित्व करता है। इस महंगाई के दौर में सरकार पार्षदों को 6 हजार रुपए भत्ता देकर पार्षदों का अपमान कर रही है।
सफीदों, जिला पार्षदों को बढ़ा हुआ अपमान भत्ता नहीं चाहिए बल्कि अपने वार्ड के समान विकास के लिए पर्याप्त ग्रांट देने का काम सरकार करे। यह बात वार्ड 25 के जिला पार्षद विकास शर्मा मुआना ने कही। शर्मा ने कहा कि एक जिला पार्षद तीस हजार वोटों का प्रतिनिधित्व करता है। इस महंगाई के दौर में सरकार पार्षदों को 6 हजार रुपए भत्ता देकर पार्षदों का अपमान कर रही है।
नई एसओपी में पार्षदों को जो काम दिए गए हैं उनके लिए अत्यधिक बजट चाहिए। जबकि पार्षदों को सीमित ग्रांट दी जा रही है। जिसकी वजह से पार्षद वार्ड का समान रूप से विकास नहीं करवा पाता और उनके आधे अधूरे काम पेंडिंग रह जाते है। शर्मा ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया इतनी ढीली और कठिन है कि आज तक भी कोई कार्य शुरू नहीं हो पाया। पार्षद बिना टेंडर के मात्र सौ रुपए का कार्य भी नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि जिला पार्षदों ने करनाल में सीएम के प्रतिनिधि संजय बठला से मिलकर अपना मांगपत्र देते हुए मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा था।
उन्होंने बताया कि करीब 7 महीने पहले नव निर्वाचित पार्षदों ने अपनी कार्यकारिणी यूनियन बनाकर अपनी मांगों का एजेंडा तैयार किया था जिनमे विधायक की तर्ज पर पेटी ग्रांट, सामान भत्ता देने, 3 व 4 करम के रास्ते पक्के करवाने के लिए 4 किलोमीटर तक का निर्माण का कोटा देने, प्रोटोकॉल की अधिसूचना, सभी पार्षदों के लिए हरियाणा में टोल फ्री करने , विकास कार्यों की मॉनिटरिंग करने सहायक प्रदान करने और पेंशन देने की मांग प्रमुखता से उठाई थी लेकिन सरकार के द्वारा उन मांगों पर कोई गौर नहीं की गई।