हरियाणा के पानीपत के गांव गढ़ सरनाई में बीती 2 अगस्त को हुई तीन बच्चों की दर्दनाक मौत के मामले में ग्रामीण प्रशासन के रोषित है। दरअसल, तीनों बच्चे अभिषेक (16), हितेश (14) और नवीन (14) की जिस तलाब में डूबने से मौत हुई थी, उस तलाब को प्रशासनिक अधिकारियों ने बंद करवाने के निर्देश दिए थे।
निर्देश आगामी 7 दिनों के भीतर तलाब को बंद करने के थे। मगर हादसे के 16 दिन बीत जाने के बाद भी जिम्मेदारों ने कोई सुध नहीं ली। इस तरह का फिर से कोई हादसा न हो, इसके लिए खुद ग्रामीण एकजुट हुए।
लोगों ने चंदा इकट्ठा कर तलाब को भरवाने का जिम्मा उठाया। लोगों ने चंदा इकट्ठा किया और तीन दिन से उस तलाब को भरवाने का काम करवा रहे हैं। लोगों का कहना है कि JCB का प्रतिदिन का खर्चा करीब 10 हजार रुपए आ रहा है। गुरुवार को तलाब भरवाई के काम का चौथा दिन है। लोगों का कहना है कि यह इसलिए किया, ताकि फिर से कोई हादसा न हो।
नवीन, अभिषेक और हितेश (फाइल फोटो)।
घटना स्थल की दोबारा नहीं ली गई सुध
स्थानीय ग्रामीण बाला, रामपाल, सुनील, सोनू, रोहतास ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि बच्चों की मौत के बाद भी जिम्मदारों की आंखें नहीं खुली हैं। इतने बड़े हादसे में भी सरकारी आश्वासन दे दिया गया। पूर्व सरपंच भीम सिंह भी कोई सुनवाई नहीं कर रहा है।
हादसे के तीसरे दिन कोई भी प्रशासनिक अधिकारी एवं कर्मचारी मौके पर नहीं आया। दोबारा किसी ने सुध नहीं ली। जिसके चलते ग्रामीणों में प्रशासन के विरुद्व रोष है। इसीलिए अब लोग खुद आगे आए हैं और एकजुट होकर इस तलाब को भरवा रहे हैं।
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मौके पर पहुंची मृतकों के परिजन एवं स्थानीय महिलाएं।
बच्चों को गहराई का अनुमान नहीं था
गढ़ सरनाई गांव में रहने वाले रोहताश का बेटा अभिषेक, दिलबाग का बेटा हितेश और रविंद्र का बेटा नवीन आपस में दोस्त थे। नवीन नौवीं और अभिषेक व हितेश आठवीं कक्षा के छात्र थे। तीनों गढ़ सरनाई गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ते थे।
2 अगस्त की दोपहर ढाई बजे स्कूल की छुट्टी होने के बाद तीनों दोस्त नहाने के लिए गांव के तालाब पर पहुंच गए। उस समय तालाब पर कई और बच्चे भी नहा रहे थे। गहराई का अंदाजा नहीं होने के चलते अभिषेक, हितेश और नवीन तालाब में ज्यादा अंदर चले गए और डूब गए।
सरकारी प्रोजेक्ट के ठेकेदार ने JCB से खोदे गड्ढे
गढ़ सरनाई गांव के ब्रह्मानंद, राकेश, जगदीश, राजबीर, संदीप, दलबीर, करणनाथ और मोंटी ने बताया कि गांव का यह तालाब काफी पुराना है। इसकी गहराई तकरीबन 3 फुट थी। एक सरकारी प्रोजेक्ट के तहत इस तालाब के पास वाटर पॉन्ड बनाने के लिए तीन महीने से खुदाई चल रही थी।
बरसात के दौरान वाटर पॉन्ड के लिए खोदे जा रहे गड्ढे में पानी भर जाने से काम रुक गया तो ठेकेदार ने JCB से तालाब में 15-15 फीट गहरे गड्ढे खुदवा दिए ताकि वाटर पॉन्ड वाली जगह भरा पानी तालाब में डाला जा सके।
उस दौरान तालाब में गड्ढों की खुदाई के दौरान निकली मिट्टी ठेकेदार के कारिंदे उठाकर ले गए। गांव वालों ने तब यह कहते हुए इसका विरोध भी किया था कि मिट्टी तालाब की है और इसे यहां खोदे गए गड्ढों को दोबारा भरने के लिए यहीं छोड़ा जाना चाहिए। हालांकि ठेकेदार के कर्मियों ने उनकी एक नहीं सुनी।