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तिरुवनंतपुरम33 मिनट पहले
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केरल की पी विजयन सरकार ने याचिका में कहा है कि राष्ट्रपति के पास लंबे वक्त से बिल लंबित हैं।
केरल सरकार ने अपनी तरह का अनोखा कदम उठाया है। पी विजयन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति उनके चार बिलों को पास नहीं कर रहीं। जबकि इन विधेयकों को राज्य विधानसभा पास कर चुकी है।
केरल सरकार ने जिन 4 बिलों को जिक्र किया है, उनमें यूनिवर्सिटी लॉज (अमेंडमेंट) (नंबर 2) बिल 2021, द केरल सरकार को-ऑपरेटिव सोसाइटीज (संशोधन) बिल 2022, द यूनिवर्सिटी लॉज (अमेंडमेंट) बिल 2022 और द यूनिवर्सिटी लॉज (अमेंडमेंट) (नंबर 3) बिल 2022 हैं। केरल सरकार ने ये भी कहा है कि बिना कोई कारण बताए इन बिलों को असंवैधानिक करार दे दिया गया है।
केरल की पी विजयन की अगुआई वाली LDF सरकार ने याचिका में केंद्र सरकार, राष्ट्रपति के सचिव, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और उनके अतिरिक्त सचिव को पार्टी बनाया है।
केरल सरकार ने कहा- बिलों को रोकना आर्टिकल 14 का उल्लंघन
पहले तो विधेयक लंबे समय तक राज्यपाल के पास रहे। इसके बाद बिल राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजे गए। राष्ट्रपति ने भी बिना कोई कारण बताए इन्हें अपने पास लंबित रखा। यह संविधान के आर्टिकल 14 (कानून के सामने सभी समान) का उल्लंघन है।
ये बिल पूरी तरह से केरल राज्य के अधिकार क्षेत्र में हैं। भारत संघ की तरफ से राष्ट्रपति को चार विधेयकों पर बिना कोई कारण बताए अनुमति रोकने के लिए दी गई सलाह भी मनमानी है और आर्टिकल 14 का उल्लंघन है।
केरल सरकार ने गवर्नर पर भी बिलों को रोकने का आरोप लगाया था
इससे पहले भी केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। विजयन सरकार ने गवर्नर पर आरोप लगाया था कि वे उनके कई बिलों को मंजूरी नहीं दे रहे, जबकि इन बिलों को विधानसभा पास कर चुकी है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर 2023 को गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान के ऑफिस को नोटिस दिया था।़ें
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