किसानों को मोटा मुनाफा देने वाली सरसों अब MSP तक भी नहीं पहुंच पा रही है। सरकारी खरीद शुरू न होने के कारण प्राइवेट एजेंसियां औने पौने दामो में किसानों की सरसों खरीद रही है और सरकार व सरकार की नीतियों को कोसता बेबस किसान कम दाम पर अपनी सरसों बेचने को मजबूर है, हालांकि किसान सरकार से जल्दी खरीद शुरू करने की मांग कर रहे है लेकिन न तो सुनने वाला है और न ही किसानों की बेबसी को देखने वाला। लिहाज किसानों में भी सरकार के प्रति गुस्सा है।
पिछले साल हुए किसानों के वारे न्यारे
पिछले साल मंडियों में सरसों MSP से कहीं ज्यादा दामों पर बिकी थी। किसानों को 6 से 7 हजार प्रति क्विंटल तक का रेट मिला। शायद ही कोई ढेरी सरकार ने खरीदी हो। सारी सरसों प्राइवेट एजेंसियों ने खरीदी थी। मार्केट में सरसों की डिमांड कम है तो सरसों के दाम भी बामुश्किल 4700 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच पा रहे है। चूंकि अभी तक सरकारी खरीद शुरू ही नहीं हुई है और सरकारी खरीद शुरू होने में भी काफी समय है, ऐसे में प्राइवेट एजेंसियां इसी तरह से सरसों की खरीद करेगी।
करनाल अनाज मंडी में पड़ी सरसों की फसल।
सरकार को किसानों की तरफ नहीं कोई ध्यान
किसानों की माने तो सरकार उस वक्त सरकारी खरीद शुरू करती है जब सरसों मंडी में आनी बंद हो जाती है। सरकार किसान हितैषी होने का झूठा दावा करती है और किसान की तरफ कोई ध्यान नही देती। सरकारी खरीद शुरू करने का अब सही समय है लेकिन जब मंडी में सरसों ही नही होगी तो सरकारी खरीद किसकी करेगी सरकार।
700 से 800 रुपए का नुकसान उठा रहे किसान
किसानों के मुताबिक, किसान मंडियों में सरसों की फसल बेचने के लिए आ रहे है, लेकिन अभी तक सरकार ने सरकारी खरीद शुरू नहीं की है। जिसके चलते किसानों को प्रति क्विंटल 700 से 800 रुपए तक नुकसान उठाना पड़ रहा है जबकि पिछले साल की तुलना करे तो यह नुकसान 1300 रुपए तक पहुंच रहा हैं। उन्होंने सरकार से अपील की है कि सरसों की सरकारी खरीद जल्द शुरू की जाए।
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मंडी के फड के पर सरसों की फसल।
मंडी में 1200 क्विंटल सरसों की आवक का टारगेट
अधिकारियों की माने तो करनाल की मंडी सरकारी परचेज के लिए हैं, वैसे भी करनाल मंडी में सरसों की आवक नाममात्र आती है। सरसों की एकाध ही ढेरी प्रतिदिन आती हैं। सरकार द्वारा सरसों का समर्थन मूल्य 5440 रुपए निर्धारित किया हैं। करनाल मंडी के साथ लगती इंद्री, घरौंडा, लाडवा हैं, इन मंडियों में आवक ज्यादा रहती हैं। उन्होंने कहा कि मंडी में 1200 क्विंटल का टारगेट दिया है।
MSP से नीचे बिक रही किसानों की सरसों
ऐसे में किसानों को सरकार की सरकारी खरीद का तरीका रास नहीं आ रहा है। किसान डिमांड कर रहे है कि सरकारी खरीद शुरू की जाए लेकिन कोई सुन ही नहीं रहा। किसानों के लिए दिक्कतें आ रही है। उनकी फसल MSP से भी नीचे है और MSP पर खरीद तब होगी जब सरकारी ख़रीद शुरू होगी। लेकिन कोई है ही नही किसानों की आवाज उठाने वाला।
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