असम में मानव तस्कर गिरोह के 24 लोगों पर चार्जशीट: NIA का खुलासा- इनमें 5 बांग्लादेशी, 1 म्यांमार का; कुछ रोहिंग्या महिलाओं को बेचा भी

 

NIA की चार्जशीट में जिन लोगों के नाम हैं उनमें से 4 बांग्लादेश से और एक म्यांमार का है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने असम में मानव तस्कर सिंडिकेट चलाने वाले 24 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। NIA ने स्पेशल कोर्ट को बताया ये गिरोह फर्जी आईडी डॉक्यूमेंट्स के जरिए भारत में बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की तस्करी करते थे। चार्जशीट में जिन लोगों के नाम हैं उनमें से 4 बांग्लादेश से और एक म्यांमार का है।

 

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NIA ने खुलासा किया है कि इन लोगों ने तस्करी करके लाए लोगों में शामिल कुछ रोहिंग्या महिलाओं को बेच भी दिया था। जिन्हें उम्र में बड़े आदमियों से जबरन शादी करनी पड़ी।

39 जगहों पर छापामारी करके पकड़ा था
NIA ने इन सभी तस्करों को स्टेट पुलिस की मदद से त्रिपुरा, असम, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल में 39 लोकेशन पर छापेमारी में पकड़ा था। शुरुआत में कुल 29 लोग गिरफ्तार किए गए थे। NIA को छापेमारी में बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज, जाली इंडियन आईडी, बैंक डॉक्यूमेंट्स और डिजिटल उपकरण भी मिले थे। बाद में त्रिपुरा से 4 आरोपी और पकड़े गए थे।

ये सिंडिकेट नियमित तौर पर रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की तस्करी कर रहा था। ताकि उन्हें देश के विभिन्न राज्यों में बसा सके। इसके लिए फर्जी दस्तावेज भी बनाए गए थे।

जाल में फंसाने लालच देते था गिरोह NIA ने अपनी चार्जशीट में इस बात का भी खुलासा किया है कि भारत-बांग्लादेश बॉर्डर के दोनों तरफ एक्टिव सिंडिकेट लोगों की सहमति के लिए उन्हें लालच देता था। आरोपी फर्जी दस्तावेज बनाकर इन लोगों के रहने-खाने और देश के अंदरूनी हिस्सों में उनके आने-जाने का इंतजाम भी करते थे।

इन लोगों पर यह भी आरोप है कि ये तस्करी करके लाए गए लोगों का शोषण करते थे। इन्हें आधी पगार पर कई क्षेत्रों में काम भी दिलाते थे। इन लोगों ने कुछ रोहिंग्या महिलाओं को शादी के लिए उम्र में पुरुषों को भी बेच दिया गया।

लोकल अथॉरिटीज ने गिरोह के सदस्यों की मदद की
जांच में यह भी पता चला कि बांग्लादेशी नागरिकों ने लोकल अथॉरिटीज की मदद से भारत में रहने के लिए फर्जी दस्तावेजों और प्रमाणपत्र हासिल किए थे। यह मामला शुरू में असम पुलिस ने कुछ बदमाशों के खिलाफ पासपोर्ट अधिनियम 1967 के तहत दर्ज किया था। इनपुट मिलने के बाद पता चला कि ये मानव तस्कर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाले गिरोह का हिस्सा थे। इसलिए बाद में NIA ने केस हैंडओवर कर लिया था।

 

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