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हिमोफिलिया रोग के प्रति जागरूक होना बेहद जरूरी
एस• के• मित्तल
जींद, नागरिक अस्पताल जींद में सोमवार को विश्व हिमोफिलिया दिवस को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएमओ डा. मंजू कादियान ने की जबकि पीएमओ डा. जितेंद्र कादियान, डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला, डा. शिप्रा, डा. संकल्प डोडा, डा. अरविंद, डा. संदीप लोहान, हिमोफीलिया सोसायटी से आशुतोष मौजूद रहे और हिमोफिलिया के प्रति आमजन को जागरूक किया तथा किट वितरित की। सीएमओ डा. मंजू कादियान ने कहा कि विश्व हिमोफिलिया दिवस मनाने का उद्देश्य यही है कि लोग इस बीमारी के बारे में जाने।
जींद, नागरिक अस्पताल जींद में सोमवार को विश्व हिमोफिलिया दिवस को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएमओ डा. मंजू कादियान ने की जबकि पीएमओ डा. जितेंद्र कादियान, डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला, डा. शिप्रा, डा. संकल्प डोडा, डा. अरविंद, डा. संदीप लोहान, हिमोफीलिया सोसायटी से आशुतोष मौजूद रहे और हिमोफिलिया के प्रति आमजन को जागरूक किया तथा किट वितरित की। सीएमओ डा. मंजू कादियान ने कहा कि विश्व हिमोफिलिया दिवस मनाने का उद्देश्य यही है कि लोग इस बीमारी के बारे में जाने।
शरीर में थोड़ा कट लगे के बाद थोड़ा खून बहना के बाद बंद हो जाता है लेकिन कई लोगों के साथ ऐसा नहीं होता है। हीमोफीलिया में खून बहना बंद नहीं होता है और इसमें जान जाने का भी खतरा होता है। यह बीमारी अधिकतर आनुवांशिक कारणों से होती है यानी माता-पिता में से किसी को ये बीमारी होने पर बच्चे को भी हो सकती है। बहुत कम ऐसा होता है कि किसी और कारण से बीमारी हो। पीएमओ डा. जितेंद्र कादियान ने कहा कि एक समय पहले हीमोफीलिया का इलाज मुश्किल था लेकिन अब घटकों की कमी होने पर इन्हें बाहर से इंजेक्शन के जरिये डाला जा सकता है। अगर बीमारी की गंभीरता कम है तो दवाइयों से भी इलाज हो सकता है। अगर माता या पिता को ये बीमारी तो उनसे बच्चे में आने की संभावना होती है।
ऐसे में पहले ही इसकी जांच कर ली जाती है। वहीं भाई-बहन में से किसी एक को है लेकिन दूसरे में उस समय इसके लक्षण नहीं है तो आगे चलकर भी ये बीमारी होने की आशंका बनी रहती है। इसलिए बीमारी का समय पर पता चल जाने पर इंजेक्शन देकर इलाज हो सकता है। चिकित्सक से परामर्श अवश्य लेना चाहिए। डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला ने कहा कि सिर में बहुत तेज दर्द होना, बार-बार उल्टी आना, गर्दन में दर्द होना, धुंधला या दोहरा दिखना, बहुत ज्यादा नींद आना, चोट से लगातार खून बहना आदि लक्ष्ण दिखें तो तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए और परामर्श लेना चाहिए। डा. शिप्रा व डा. संकल्प ने कहा कि हीमोफीलिया दो तरह का होता है। हीमोफीलिया ए में फैक्टर 8 की कमी होती और हीमोफीलिया बी में घटक 9 की कमी होती है। दोनों ही खून में थक्का बनाने के लिए जरूरी हैं। ये एक दुर्लभ बीमारी है। एक समय तक हीमोफीलिया का इलाज मुश्किल था लेकिन अब घटकों की कमी होने पर इन्हें बाहर से इंजेक्शन के जरिये डाला जा सकता है। डा. अरविंद, हिमोफीलिया सोसायटी से आशुतोष ने कहा कि अगर बीमारी की गंभीरता कम है तो दवाइयों से भी इलाज हो सकता है। आमजन को हिमोफिलिया के प्रति सचेत रहना चाहिए।
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