अच्छे विचारों वाला इंसान सदैव सुखी रहता है: भ्राता ओमका

एस• के• मित्तल 
सफीदों,   अच्छे विचारों वाला इंसान सदैव सुखी रहता है। यह बात माउंटआबू से पधारे राजयोगी एवं मोटिवेशनल स्पीकर प्रोफेसर भ्राता ओमकार चंद ने कही। वे नगर के प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय सफीदों के हैप्पी हाल चल रहे खुशियों से दोस्ती उत्सव को बतौर मुख्यवक्ता संबोधित कर रहे थे।
इस मौके पर सफीदों सैंटर इंचार्ज बहन स्नेहलता ने भ्राता ओमकार व अन्य अतिथियों का अभिनंदन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। अपने संबोधन में भ्राता ओमकुमार ने कहा कि नेगेटिव विचारों वाला व्यक्ति हर समय दुखी रहता है। इंसान को नेगेटिवीटी छोड़कर पॉजीटिव विचारों व चिंतन की ओर बढ़ना चाहिए। बचपन में माता-पिता व गुरूओं ने उठना-बैठना, खाना-पीना व बातचीत करना सबकुछ सिखाया लेकिन सबसे जरूरी यह चीज नहीं सिखाई कि सोचना कैसे है, कब सोचना है, कितना सोचना है और क्या सोचना है।
जीवन में सबसे बड़ा सुख अच्छे विचारों का होना है। उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि हम जो सोचते है, वह किसी दूसरे को पता नहीं चलता लेकिन सच्चाई यह है कि जो हम सोचते हैं वह दूसरे तक बोलने से पहले ही चला जाता है। सोचने की शक्ति सबसे तीव्र होती है। मन पलभर में कहीं का कहीं पर भी पहुंच जाता है। मन की एनर्जी सबसे पावरफुल होती है। दिमाग की पावर हो हम नहीं जानते और ना ही दिमागी शक्ति का इस्तेमाल करते हैं।
एक शोध में पाया गया है कि बड़ी-बड़ी दिग्गज हस्तियां केवल 10 प्रतिशत दिमागी पावर का इस्तेमाल करती हैं तो आम आदमी की क्या बिसात होगी। हमारे माईंड की एनर्जी वेस्ट चली जा रही है और हमारा इस दिशा में कोई ध्यान नहीं है। अगर हमें अच्छे से जीना है तो दिमागी एनर्जी को लिकेज होने से रोकना होगा। कितना ही नेगेटिव सोचते रहो और नकारात्मकता को कितना ही घोट लो आखिर में निकलना तो दुख ही है। इस संसार में 60 प्रतिशत लोग भूतकाल, 35 प्रतिशत लोग भविष्य और 5 प्रतिशत लोग वर्तमान के बारे में सोचते हैं।
अगर हम देखें तो भूतकाल एक सपने व भविष्य केवल कल्पना के समान है। इसलिए हमें वर्तमान को ज्यादा अधिमान देना चाहिए क्योंकि वर्तमान अपना है। उन्होंने कहा दिमाग में से नकारात्मकता को निकालने के लिए मेडीटेशन की ओर जाना होगा। अगर नकारात्मकता समाप्त होगी तो जीवन अपने आप सुखी हो जाएगा।

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