एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि यह संसार चौराहे के समान है और आत्मा कर्मगति के रूप में चौराहे पर घूम रही है। इस संसार में आयु पूरी होने के बाद सभी जीवों को जाना है। सभी जीवों के अपने-अपने स्टेशन है। हर जीव अपने कर्मों के फल की प्रभाव से देवलोक, स्वर्गलोक व नरकलोक अलग-अलग स्टेशन पर पहुंचता है। इन सबमे नरक लोक स्टेशन दुख प्रधान है। उन्होंने कहा कि आदमी जो पाप करता है वह मन से करता है।
सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि यह संसार चौराहे के समान है और आत्मा कर्मगति के रूप में चौराहे पर घूम रही है। इस संसार में आयु पूरी होने के बाद सभी जीवों को जाना है। सभी जीवों के अपने-अपने स्टेशन है। हर जीव अपने कर्मों के फल की प्रभाव से देवलोक, स्वर्गलोक व नरकलोक अलग-अलग स्टेशन पर पहुंचता है। इन सबमे नरक लोक स्टेशन दुख प्रधान है। उन्होंने कहा कि आदमी जो पाप करता है वह मन से करता है।
जहां पर मन है वहां पर हिसंक प्रवृति है। जहां पर मन नहीं होता वहां पर हिंसा कम होती है। उन्होंने कहा कि संसार वो है जहां जीव को घूमना पड़ता है। मनुष्य योनि सुख-दुख व कल्याण प्रदायक है। कर्म ही जीव को घुमाने वाले होते हैं। कर्म खत्म हो जाते हैं तो आत्मा भगवान भी बन जाती है। हमारा नियंत्रण हमारे हाथ में है। अगर मनुष्य यह ध्यान कर ले कि जो हम कर्म कर रहे हैं वह अच्छे है या बुरे तो हमारी आत्मा सही दिशा में गति करेगी। उन्होंने कहा कि मानव जीवन मिलना दुर्लभ है। जीवन और मरन यह संसार का नाम है।
जो मनुष्य सम्यक दृष्टि के, गुरू और धर्म को मानने वाले होते हैं वे इस जन्म-मरण के कुचक्र से छुट जाते हैं और उन्हे लेने के लिए तो देवता भी धरती पर आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान और मनुष्य में यही फर्क है कि मनुष्य कर्म से बंधा हुआ है और भगवान इस कर्म बंधन से मुक्त हैं। इस मनुष्य जीवन में हमें ऐसे कर्म करने चाहिए कि हमारा लोक और परलोक दोनों ही सफल हो जाएं।
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