तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन का कहना है कि राज्य सरकार की प्रगति और नीतियों वाला भाषण पढ़ना राज्यपाल का कर्तव्य है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गुरुवार (15 फरवरी) को कहा कि राज्यपाल आरएन रवि विधानसभा का इस्तेमाल अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए कर रहे हैं। सीएम स्टालिन की यह प्रतिक्रिया 12 फरवरी की घटना पर आई है जब तमिलनाडु विधानसभा के नए सत्र के पहले दिन राज्यपाल ने अपना पूरा अभिभाषण पढ़ने से मना कर दिया था।
स्टालिन ने कहा कि राज्य सरकार प्रगति और नीतियों वाला भाषण पढ़ना राज्यपाल का कर्तव्य था। उनके व्यवहार से सभी को ऐसा लगा कि उन्होंने विधानसभा का इस्तेमाल अपनी राजनीति के लिए किया है।
इससे हमारा नहीं बल्कि सदियों पुरानी विधानसभा का अपमान हुआ और लोगों की अनदेखी की गई। राज्यपाल ने संवैधानिक शपथ के खिलाफ काम किया। स्टालिन ने यह भी कहा कि सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) ने पिछले 75 सालों में ऐसी कई परेशानियों को पार किया है।
12 फरवरी को तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन रवि को DMK सरकार की ओर से तैयार अभिभाषण पढ़ना था, लेकिन उन्होंने पूरा अभिभाषण पढ़ने से मना कर दिया था।
CM स्टालिन ने कहा- हम फासीवाद का विरोध में
उन्होंने कहा- मैं मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन घोषणा करता हूं कि हम फासीवाद का विरोध करते हुए इस तरह के मामूली एक्शन से नहीं डरेंगे। जो लोग प्रशंसा करते हैं वे प्रशंसा करते रहें और जो लोग श्राप देते हैं वे श्राप देना जारी रखें, लेकिन मैं मार्च करना बंद नहीं करूंगा। कई ताकतें (पार्टी) DMK शासन के द्रविड़ मॉडल से नाराज हैं।
स्टालिन ने कहा है कि हमारी जाति के दुश्मन हमारे विकास से परेशान हैं। यह हमारी सरकार की सबसे बड़ी जीत है। उत्पीड़कों से अतिरिक्त शक्ति छीनना और उसे उत्पीड़ितों में फिर से बांट देना उनके गुस्से का कारण है। वे इसे अलग-अलग तरीकों से व्यक्त कर रहे हैं। यहां तक कि राज्यपाल भी इसमें शामिल हैं जो कोई अपवाद नहीं है।
12 फरवरी को क्या हुआ था?
12 फरवरी को तमिलनाडु विधानसभा के नए सत्र के पहले दिन था। तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन रवि को DMK सरकार की ओर से तैयार अभिभाषण पढ़ना था, लेकिन उन्होंने पूरा अभिभाषण पढ़ने से मना कर दिया था। राज्यपाल ने दावा किया था कि अभिभाषण में ‘भ्रामक तथ्य’ दिए गए थे, जिनसे वो सहमत नहीं हैं।
महज एक मिनट की स्पीच में गवर्नर रवि ने कहा था कि राष्ट्रगान को सम्मान देने की मेरी रिक्वेस्ट को बार-बार नजरअंदाज कर दी गई। साथ ही इस संबोधन में कई अंश हैं, जो फैक्चुअली सही नहीं है। इसलिए नैतिक तौर पर मैं इनसे असहमत हूं।
गवर्नर ने कहा- अगर मैं फिर भी इसे अपनी आवाज देता हूं, तो यह संविधान का मजाक होगा। इसलिए मैं अपना संबोधन खत्म कर रहे हैं। लोगों की भलाई के लिए इस सदन में सार्थक चर्चा की कामना करता हूं। राज्यपाल के सदन छोड़ जाने के बाद स्पीकर अप्पावु ने विधानसभा के पहले सत्र का भाषण पढ़ा था।छ देखने को मिला था। उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके ने जो आधिकारिक भाषण तैयार किया था उसके कुछ हिस्सों को छोड़ दिया था। उन्होंने उन हिस्सों का जिक्र नहीं किया था जिनमें पेरियार, बीआर अंबेडकर, के कामराज, सीएन अन्नादुराई और के करुणानिधि जैसे नेताओं के नाम थे। जिसके बाद मुख्यमंत्री स्टालिन ने केवल आधिकारिक भाषण रिकॉर्ड करने के लिए एक प्रस्ताव पेश करके जवाब दिया था। वहीं, राज्यपाल सदन से बाहर निकल गए थे।
हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जब केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने 25 जनवरी को विधानसभा में अपना पारंपरिक भाषण कुछ ही मिनटों में खत्म कर दिया था। उन्होंने सरकार के बनाए गए भाषण का केवल आखिरी पैराग्राफ ही पढ़ा था।