उज्बेकिस्तान के मरीज के दो ऑर्गन एक साथ ट्रांसप्लांट: बेटी ने लिवर और पत्नी ने किडनी डोनेट की, 16 घंटे तक चला ऑपरेशन

नई दिल्ली59 मिनट पहले

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9 डॉक्टरों की टीम ने 16 घंटे में ऑपरेशन किया। मरीज की अब अस्पताल से छुट्टी हो गई है। (फाइल)

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के मैक्स अस्पताल में एक उज्बेकिस्तानी मरीज अखरोरजोन खैदारोव (46) के दो ऑर्गन किडनी और लिवर एक साथ ट्रांसप्लांट किए गए।

अस्पताल की तरफ से मंगलवार (2 अप्रैल) को बताया गया कि 9 डॉक्टर्स की टीम ने एक महीने पहले यह ऑपरेशन किया था। 16 घंटे तक चले इस सफल ऑपरेशन के लिए मरीज की बेटी ने लिवर का एक हिस्सा और पत्नी ने किडनी डोनेट की थी।

डॉक्टर्स ने बताया कि मरीज की दोनों किडनी फेल हो चुकी थी। उसकी दोनों किडनी किसी सामान्य किडनी की तुलना में 20 प्रतिशत ही काम कर रही थी। इसके अलावा मरीज को लिवर सिरोसिस की भी बीमारी थी। मरीज की जान बचाने के लिए दोनों ऑर्गन को ट्रांसप्लांट करना जरूरी था। मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ्य हो चुका है।

बेटी ने किडनी देने का फैसला किया था, बाद में बदला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बेटी किडनी डोनेट करने का फैसला किया था, लेकिन उसकी मां उसे किडनी की बजाय लिवर डोनेट करने को कहा। मां ने कहा कि किडनी वह खुद डोनेट करेगी, क्योंकि लिवर ऐसा ऑर्गन है जिसे डोनेट कर दिया जाए तो वह फिर से उतना ही बड़ा हो जाता है, लेकिन किडनी एक बार डोनेट हो गई, तो डोनर को जिंदगीभर एक ही किडनी पर रहना होता है। मां चाहती थी कि उसकी बेटी लिवर डोनेट करे जो बाद में फिर से उतना ही बड़ा हो जाएगा।

ट्रांसप्लांट के लिए स्पेशल OT बनाया गया
डॉक्टर अनंत कुमार ने बताया कि ऑपरेशन के लिए अलग ट्रांसप्लांट ऑपरेटिंग थिएटर (OT) बनाया गया था। इस ट्रांसप्लांट OT में एक-दूसरे जुड़े हुए तीन ऑपरेटिंग रूम थे। एक लीवर डोनेट करने वाली मरीज की बेटी के लिए। एक किडनी डोनेट करने वाली मरीज की पत्नी के लिए और मरीज के लिए।

मैक्स अस्पताल के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट की डॉक्टर नीरू अग्रवाल ने बताया कि पेशेंट को अपने लिवर के खराब होने की जानकारी पहले से थी, लेकिन जब उसे किडनी फेल होने की जानकारी मिली तब उसे गहरा झटका लगा। हमने उसे बताया कि ट्रांसप्लांट करने से उसकी जान बच सकती है।

अस्पताल में लिवर और बाइलरी सांइस डिपार्टमेंट के डॉक्टर ने बताया कि पहले जब इस तरह के मामले आते थे, तब दो अलग-अलग ऑपरेशन में दो ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए जाते थे। पहले लिवर ट्रांसप्लांट किया जाता था। फिर किडनी ट्रांसप्लांट की जाती थी, लेकिन अब मेडिकल साइंस नई ऊचाइयों पर पहुंच गया है। अब दोनों एक ही ऑपरेशन में किया जा सकता है।

45 पार हो उम्र तो किडनी स्वीकारने में शरीर को आती हैं दिक्कतें
‘जर्नल ऑफ द अमेरिकन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, किडनी ट्रांसप्लांट की कामयाबी जेंडर और उम्र पर निर्भर करती है। 1.6 लाख लोगों पर की गई इस स्टडी में कहा गया है कि जिन महिलाओं का किडनी ट्रांसप्लांट होता है कुछ समय के बाद उनमें किडनी फेल होने की आशंका ज्यादा रहती है।

अगर उम्र 45 पार है तो यह आशंका और बढ़ जाती है। ऐसे में किडनी ट्रांसप्लांट से पहले बॉडी की कड़ी जांच जरूरी है।

ऑर्गन ट्रांसप्लांट में मायने रखते हैं लिंग और उम्र
बीएमसी नेफ्रोलॉजी की 2020 में आई एक रिसर्च के मुताबिक ऑर्गन ट्रांसप्लांट में महिलाएं भले ही आगे हैं, मगर इस प्रक्रिया में जेंडर काफी मायने रखता है।

किडनी ट्रांसप्लांट की ही स्थिति में रिसीपिएंट की उम्र, बॉडी मास इंडेक्स (BMI), सीरम क्रिएटनिन और डायलिसिस की पॉजिटिव हिस्ट्री जैसे फैक्टर्स देखे जाते हैं, मगर सबसे अहम चीज जो पूरी दुनिया में नजरअंदाज की जाती है, वो है डोनर और रिसीपिएंट्स का जेंडर। यानी अंगदान करने वाले और लेने वाले का जेंडर।

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