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रास्ते भर हुई पुष्पवर्षा व सिक्कों की वर्षा, लोगों को बांटा गया प्रसाद
श्मशान घाट को गुब्बारों से गया सजाया
एस• के• मित्तल
सफीदों, पिछले काफी दिनों से संथारे पर चल रही तपस्विनी परमेश्वरी देवी (82) ने वीरवार प्रात: वेला में करीब सवा 5 बजे अपनी देह त्याग दी। उनके देवलोक गमन की खबर जैसे ही नगर के लोगों को लगी तो लोग उनके निवास स्थान पर अंतिम दर्शनों के लिए उमड़ पड़े। बता दें कि सफीदों के इतिहास में पहली बार किसी महिला ने अपने इस नश्वर शरीर का संथारा ग्रहण करके त्याग किया है।
सफीदों, पिछले काफी दिनों से संथारे पर चल रही तपस्विनी परमेश्वरी देवी (82) ने वीरवार प्रात: वेला में करीब सवा 5 बजे अपनी देह त्याग दी। उनके देवलोक गमन की खबर जैसे ही नगर के लोगों को लगी तो लोग उनके निवास स्थान पर अंतिम दर्शनों के लिए उमड़ पड़े। बता दें कि सफीदों के इतिहास में पहली बार किसी महिला ने अपने इस नश्वर शरीर का संथारा ग्रहण करके त्याग किया है।
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संथारा साधिका परमेश्वरी देवी जैन धर्मपत्नी स्व. श्री सदानंद जी जैन ने मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि जी महाराज के समक्ष संथारा ग्रहण करने की इच्छा जाहिर की थी। उसके उपरांत जैन संतों ने परमेश्वरी देवी के विचारों को जानकर पाया कि वह जैन धर्म की सर्वोच्च करनी कर सकती हैं। गुरूदेवों ने महती कृपा करते हुए अपने मुखारविंद से इस परमेश्वरी देवी जैन श्रावक के अंतिम मनोरथ के सभी पाठों का विधिवत रूप सेे ग्रहण करवाया। संथारा साधिका माता परमेश्वरी देवी ने 10 मई 2023 को सात द्रव्यों को छोड़कर बाकी संसार के सभी खाद्य एवं पेय पदार्थों का त्याग कर दिया था और धीरे-धीरे तप की इस देवी ने अपने इस नश्वर शरीर को अपने तप के द्वारा अपने कर्मों को क्षय करने का साधन बना लिया और प्रभु के बताए मार्ग की ओर अग्रसर होती चली गई।
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संलेखना से मन मजबूत बना तो गुरूओं ने 12 जुलाई से परमेश्वरी देवी को व्रत का पचक्खान कर लिया और यह व्रत करीब एक महीने तक चले। उसके बाद 11 अगस्त को सुबह 6:40 मिनट पर परमेश्वरी देवी ने अंतिम समय में सभी से क्षमा याचना करते हुए गुरूओं के आशीर्वाद से संथारे को ग्रहण कर लिया। उसके उपरांत वीरवार को परमेश्वरी देवी अपनी नश्वर देह को त्यागकर देवलोक गमन कर गई। परमेश्वरी देवी को अंतिम विदाई देने के लिए एक विशेष प्रकार से सुसज्जित पुष्पक विमान तैयार करवाया गया। लोगों को अंतिम दर्शन देने के उपरांत परमेश्वरी देवी को इस पुष्पक विमान में विराजकर अंतिम पथ की ओर रवाना किया गया।
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अंतिम यात्रा के आगे-आगे बैंड-बाजे, डीजे व ढोल-नंगाड़े बज रहे थे और श्रद्धालु जय-जयकार करते हुए श्मशान घाट की ओर बढ़ रहे थे। परमेश्वरी देवी की अंतिम सांसारिक यात्रा शोभायात्रा में तबदील हो गई। यह यात्रा नगर के मार्किट कमेटी रोड से प्रारंभ होकर रेलवे रोड़, पुरानी अनाज मंडी व जींद रोड होते हुए श्मशान घाट पहुंची। रास्ते भर परमेश्वरी देवी की पार्थिव देह पर फूलों व सिक्कों की वर्षा की गई और लोगों को प्रसाद वितरित किया गया। वहीं श्मशान घाट को भी फूलों व गुब्बारों से विशेष रूप से सजाया गया था।
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श्मशान घाट में परमेश्वरी देवी जैन के पुत्र बबला जैन, पौत्र गौरव जैन व गौत्तम जैन सहित अन्य परिजनों ने उनको मुखाग्रि दी। मुखाग्रि देते ही पुरा श्मशान घाट नमोकार महामंत्र व भगवान महावीर स्वामी की जय जयकार से गुंंज उठा। परमेश्वरी देवी जैन के अंतिम संस्कार में महिलाएं भी परंपराओं को दरकिनार करके श्मशान घाट पहुंची और उनके दर्शन करके उन्हे अंतिम प्रणाम किया।
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