नशे के खिलाफ और रक्तदान के प्रति जागरूता फैला रहे डा. अशोक कुमार 700 युवाओं को निकाल चुके हैं नशे की दलदल से बाहर

खुद 159 बार रक्तदान तो 74 बार किया प्लेटलेट्स दान
राष्ट्रपति पुलिस पदक व महामहिम राज्यपाल से हो चुके हैं दो बार सम्मानित

सफीदों, (महाबीर मित्तल) : नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने और रक्तदान करने में हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) में बतौर पुनर्वास प्रभारी तैनात उप निरीक्षक डॉ. अशोक कुुमार वर्मा है एक बड़ा नाम बन चुके हैं और आज वे किसी परिचय के मोहताज नहीं है। सफीदों आगमन पर हमारे संवाददाता ने उनसे विशेष बातचीत की। अपने अभियान को लेकर पुलिस की वर्दी और रौबदार मूछों के साथ सब इंस्पेक्टर डा. अशोक कुमार जहां भी जाते है, उनके बेहतरीन विचार सुनकर हर कोई उनका कायल हो जाता है।
सहज व मिलसार स्वभाव एवं कवि हद्य डा. अशोक कुमार वर्मा बेहद साधारण तरीके से बिना किसी तामझाम के अपने जागरूकता कार्यक्रम को अंजाम देते हैं। वे अक्सर हरियाणा की सड़कों व गलियों-कूचों में साईकिल के ऊपर लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करते हुए दिखाई दे जाएंगे। डा. अशोक कुमार चाहे तो सरकारी सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं लेकिन वे इससे इतर बिल्कुल सादेपन को अपने अभियान का हिस्सा बना लिया है। डा. अशोक कुमार वर्मा प्रचार अभियान के लिए साईकिल या फिर दूरस्थ जाने के लिए सरकारी परिवहन बस का प्रयोग करते हैं। डा. अशोक कुमार एक पुलिस अधिकारी के साथ-साथ रक्तवीर भी हैं। वे अब तक 159 बार रक्तदान व 74 बार प्लेटलेट्स दान कर चुके हैं। इसके अलावा 466 रक्तदान शिविर लगवा चुके हैं। रक्तदान के लिए वे 2 बार महामहिम राज्यपाल द्वारा नवाजे जा चुके है और बेहतरीन पुलिस सेवाओं के लिए वे राष्ट्रपति पुलिस पदक से पुरस्कृत हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि उन्हे रक्तदान करने की प्रेरणा भारतीय सेना में बतौर नायक पद पर रहे अपने पिता कलीराम से मिली थी और उनके आशीर्वाद स्वरूप रक्तदान का सिलसिला आजतक जारी है।
अशोक वर्मा की पत्नी हरियाणा पुलिस और एक बेटी न्यायिक सेवा में कार्यरत्त है। जबकि एक बेटा व बेटी पढ़ाई कर रहे हैं। जागरूकता अभियान में साईकिल का ही प्रयोग क्यों यह पूछे जाने पर डा. अशोक कुमार कहते हैं कि साईकिल पर प्रचार करने से लोगों से नजदीकियां पैदा होती है और जागरूकता अभियान में सफलता मिलती है। जब वे साईकिल पर वर्दी में चलते हैं और साईकिल के आगे हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) का नशा विरोधी फलैक्स लगा होता है तो रास्ते में जो भी लोग मिलते हैं वे कुछ रूककर देखते जरूर हैं और काफी लोग उन्हे रोककर इस अभियान के प्रति चर्चा भी करते हैं। इसके अलावा साईकिल पर गली-गली व कोने-कोने में सहज रूप से पहुंचा जा सकता है। वे अब तक प्रदेश के करीब 13 जिलों के गांव व स्कूल कवर कर चुके हैं। डा. अशोक कुमार ने बताया कि उनका मुख्य फोकस नशे की गिरफ्त में आ चुके युवाओं का नशे की दलदल से बाहर निकालना हैं। वे अब तक करीब 700 युवाओं का उपचार करवाकर उनका नशा छुड़वा चुके हैं। उन्होंने कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई बहुत लंबी और बड़ी है क्योंकि इस धंधे में विदेशियों के साथ-साथ अपने लोग भी मिले हुए हैं।
एनसीबी नशे के कारोबारियों को पकडऩे के साथ-साथ युवाओं को नशे से बाहर निकालने दोनों प्रकार के कार्य कर रही है। नशा समाज के फैल चुका है और जागरूकता के माध्यम से नशे की बड़ी लड़ाई में जीत प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने बताया कि अभी सरकार के द्वारा नशे के फैलाव को रोकने के लिए प्रयास एप व विलेज मिशन टीम का गठन किया जा रहा है। प्रयास एप के तहत स्कूलों में 5 विद्यार्थियों का एक ग्रुप बनाया जाएगा। उस गु्रप का एक लीडऱ होगा जिसे धाकड़ का नाम दिया गया है। इसके अलावा स्कूल का टीचर सीनियर धाकड़ व प्रिंसिपल नोडल धाकड़ होगा। वहीं विलेज मिशन टीम में समाज के मौजिज लोगों, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग व पटवारी को शामिल किया गया है। ये लोग सर्वें करेंगे कि कौन-कौन नशा कर रहा है, कौन नशा करवाता है और कौन नशा छोडऩा चाहता है। उसे सर्वे रिपोर्ट के आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी। डा. अशोक कुमार ने कहा कि वे अंतिम सांस तक नशे के खिलाफ अलख जगाते रहेंगे और रक्तदान करते रहेंगे।

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