जब-जब धरती पर पापाचार बढ़ता है, तब-तब भगवान अवतरित होते हैं : शिवाकांत शुक्ल महाराज

5
उपस्थित श्रद्धालुगण
Advertisement
श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कथा व्यास शिवाकांत शुक्ल महाराज

सफीदों (एस• के• मित्तल) : सफीदों शहर स्थित प्राचीन शिव मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कथा व्यास शिवाकांत शुक्ल महाराज (श्री चित्रकूट धाम) ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का रसपान जीवन को धन्य बना देता है। श्रीमद भागवत सुनने का लाभ भी कई जन्मों के पुण्य से प्राप्त होता है। श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती है। मनुष्य को जीवन परमात्मा ने दिया है, लेकिन जीवन जीने की कला हमें सत्संग से प्राप्त होती है। सत्संग का मनुष्य के जीवन में बड़ा महत्व है। भगवान भक्तों के वश में हैं। भगवान हमेशा अपने भक्तों का ध्यान रखते हैं। उन्होंने कहा कि जब जब धरती पर पाप व अनाचार बढ़ता है, तब-तब भगवान श्रीहरि धरा पर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर भक्तों के संकट को हरते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत के पठन एवं श्रवण से भोग और मोक्ष दोनों सुलभ हो जाते हैं। मन की शुद्धि के लिए इससे बड़ा कोई साधन नहीं है। सिंह की गर्जना सुनकर जैसे भेड़िए भाग जाते हैं, वैसे ही भागवत के पाठ से कलियुग के समस्त दोष हो जाते हैं। इसके श्रवण मात्र से हरि हृदय में आ विराजते हैं। भोग और मुक्ति के लिए तो एकमात्र भागवत शास्त्र ही पर्याप्त है। हजारों अश्वमेध और वाजपेय यज्ञ का फल इस कथा के श्रवण से मिलता है। फल की दृष्टि से भागवत की समानता गंगा, गया, काशी, पुष्कर या प्रयाग कोई भी तीर्थ नहीं कर सकता। सम्मान के साथ सेवा का अवसर दिलाने में सहायक जनमानस में भागवत का विशिष्ट स्थान है। बहुत दिनों तक चित्तवृत्ति को वश में रखना तथा नियमों में बंधे रहना कठिन है, इसलिए भागवत के सप्ताह श्रवण की विधि उत्तम मानी गई है।

यह भी देखें :-
चित्रा सरवारा का BJP के गब्बर पर कटाक्ष । आमरण अनशन अंबाला के हक के लिए नही उनकी जिद के लिए था । ख़ास मुलाक़ात । देखिए

Advertisement