एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि जप और तप से आत्मा पवित्र होती है और पापों का नाश होता है। जप परम कल्याण कारी है मानव को जप प्रतिदिन अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इंसान की इच्छाएं अनंत होती हैं जो कदापि पूर्ण नहीं हो पाती। इंसान खाली हाथ आता है एवं एक दिन खाली हाथ ही प्रस्थान कर जाता है।
लोभ तन का, मन का, धन का, कुटुम्ब कबिला, जमीन जायदाद का या पद प्रतिष्ठा का नानाभांति जीवन में प्रगट होता रहता है। मन में हजारों कल्पनाएं उभरती रहती है। प्रभु महावीर ने इस लोभ को जीतने के लिए संतोष का मार्ग बतलाया जैन श्रावकों के लिए परिग्रह परिणाम व्रत की व्याख्या की। वस्तुओं की मर्यादाओं से ही मन पर काबू पाया जा सकता है। खाने को कहा जाता है तो दो रोटी की जरूरत पड़ती है।
फिर पता नहीं इंसान इतना लोभ में क्यों डूबा जा रहा है। उन्होंने कहा कि धर्म की जय बोलना तो आसान है, लेकिन साधु का मार्ग जानना, उस पर चलना बहुत कठिन है। संतों की शरण में आकर धर्म को जानें, मानें और उस पथ के अनुगामी बनें। हर व्यक्ति को सजग रहना होगा और परंपराओं को जानना होगा। तभी मानव जीवन का उत्थान होगा। बच्चों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं के बारे में बताएं।
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