एस• के• मित्तल
सफीदों, आर्य समाज मंदिर प्रांगण में रविवार को मासिक वैदिक यज्ञ व सत्संग का आयोजन किया जाएगा। सर्वप्रथम सुबह 8 बजे स्वामी धर्मदेव महाराज के सानिध्य में यज्ञ का आयोजन किया गया। हवन में सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने आहुति डालकर समाज व परिवार की सुख-शांति की कामना की। वहीं भजनोपदेशिका बहन कल्याणी आर्या अपने भजनों के माध्यम से आर्य समाज के विचारों की अलख जगाई। कार्यक्रम में आर्य समाज सफीदों के प्रधान यादविंद्र बराड़ व महासचिव संजीव मुआना ने आए हुए महानुभावों का अभिनंदन किया।
सफीदों, आर्य समाज मंदिर प्रांगण में रविवार को मासिक वैदिक यज्ञ व सत्संग का आयोजन किया जाएगा। सर्वप्रथम सुबह 8 बजे स्वामी धर्मदेव महाराज के सानिध्य में यज्ञ का आयोजन किया गया। हवन में सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने आहुति डालकर समाज व परिवार की सुख-शांति की कामना की। वहीं भजनोपदेशिका बहन कल्याणी आर्या अपने भजनों के माध्यम से आर्य समाज के विचारों की अलख जगाई। कार्यक्रम में आर्य समाज सफीदों के प्रधान यादविंद्र बराड़ व महासचिव संजीव मुआना ने आए हुए महानुभावों का अभिनंदन किया।
अपने संबोधन में स्वामी धर्मदेव महाराज ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने सती प्रथा समेत अन्य सामाजिक कुप्रथाओं का विरोध किया और लोगों में चेतना पैदा की। महर्षि दयानंद के विचारों को जन-जन तक फैलाना हमारा परम कर्तव्य है। महर्षि दयानंद ने सती प्रथा का विरोध किया। महर्षि की प्रेरणा से कन्या गुरुकुल, आर्य स्कूल, आर्य कन्या कॉलेज और अनाथालय आदि खोले गए है।
वहीं भजनोपदेशिका कल्याणी आर्या ने कहा कि वैदिक यज्ञ को हमें अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए। मनुष्य जीवन में श्रेष्ठ कर्म करके ही संमार्ग व उन्नति मार्ग पर अग्रसर होता है। वेद मार्ग पर चलकर मानव अपने जीवन को श्रेष्ठ बना सकता है। कल्याणी आर्या ने कहा कि बतौर माता-पिता हर मनुष्य का अपने बच्चों को इतने अच्छे संस्कार देने चाहिए कि वे भविष्य में उनके नाम को रोशन करते हुए न केवल उनका बल्कि पूरे समाज का आदर सत्कार कर सकें। कार्यक्रम के बाद आयोजित विशाल ऋषि लंगर में प्रसाद ग्रहण किया।