नई दिल्ली। महंगे आयात और घरेलू उत्पादन लागत के बढ़ने से चालू वित्त वर्ष के दौरान फर्टिलाइजर सब्सिडी ढाई लाख करोड़ तक पहुंच सकती है। यह पिछले साल के मुकाबले 55 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक फर्टिलाइजर की आपूर्ति को जारी रखने के लिए सरकार लगातार वैश्विक बाजार के प्रमुख उत्पादक देशों से बातचीत कर रही है। फर्टिलाइजर उपलब्धता के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक रणनीति पर अमल शुरू कर दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्री मनसुख मांडविया जल्दी ही सऊदी अरब, ओमान और मोरक्को जैसे फर्टिलाइजर उत्पादक देशों की यात्रा पर जाएंगे। इन देशों से फर्टिलाइजर की आपूर्ति के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक आपूर्ति के सौदों पर विचार-विमर्श करेंगे। खरीफ सीजन के मुकाबले रबी सीजन में फर्टिलाइजर की खपत 15 से 20 प्रतिशत अधिक होती है। इसके लिए भी अंतरराष्ट्रीय बाजार को खंगाला जा रहा है।
यूरिया के खुदरा मूल्य में नहीं होगी बढ़ोतरी
सरकारी सूत्रों का कहना है कि सरकार यूरिया के खुदरा मूल्य में कोई वृद्धि नहीं होने देगी। जबकि गैर यूरिया वाले फर्टिलाइजर के मूल्यों में भी कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को छह महीने के लिए 60,939.23 करोड़ की सब्सिडी फास्फेटिक और पोटेशिक फर्टिलाइजर के लिए मंजूर की है। इसमें यूरिया की सब्सिडी शामिल नहीं है।
ढाई लाख करोड़ के स्तर को छू सकती है सब्सिडी
सरकारी सूत्रों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 में फर्टिलाइजर सब्सिडी ढाई लाख करोड़ के स्तर को छू सकती है। पिछले साल 2021-22 में फर्टिलाइजर सब्सिडी 1.62 लाख करोड़ रुपए थी। जबकि वर्ष 2013-14 में 71 हजार करोड़ रुपये थी।
यूरिया का मूल्य सालभर में 930 डालर प्रति टन हुआ
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक भारत को 40 से 45 प्रतिशत फास्फेटिक फर्टिलाइजर आपूर्ति करने वाले चीन का उत्पादन घटने से निर्यात लगभग ठप हो गया है। रूस और यूक्रेन युद्ध और ईरान और रूस पर लगे प्रतिबंधों के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फर्टिलाइजर की कीमतों में भारी तेजी है। इसके अलावा ढुलाई खर्च में भी वृद्धि हुई है।
किसानों को राहत
यूरिया का मूल्य सालभर में 380 डालर से बढ़कर 930 डालर प्रति टन पहुंच गया है जबकि डीएपी का दाम 555 डालर से 924 डालर प्रति टन हो गया है। इसके मुकाबले भारत में किसानों को सब्सिडी देकर यूरिया मात्र 266 रुपये प्रति बोरी (45 किग्रा) और डीएपी 1350 रुपये प्रति बोरी (50 किग्रा) में उपलब्ध कराई जा रही है। यूरिया पर 3700 रुपये और डीएपी पर 2501 रुपये प्रति बोरी की सब्सिडी का प्रविधान किया गया है।