एस• के• मित्तल
जींद, कोई भी सेवा छोटी या बड़ी नहीं होती। सेवा करते समय हमारे चेहरे पर मुस्कुराहट होनी चाहिए। हम सेवा करने के लिए पैदा हुए हैं। हमें सेवा का अवसर मिला है तो इसका बखुबी निर्वहन करना चाहिए। ये कथन है प्रयास सेवा समिति उझाना के प्रधान सुरेश कुमार के। उन्होंने कहा कि प्रयास सेवा समिति उझाना आज किसी परिचय की मोहताज नही है। आईपीएस अधिकारी कुलदीप चहल के मार्ग दर्शन में चलने वाली यह समिति वर्ष 2016 से लगातार निस्वार्थ भाव से समाज के उत्थान के लिए कार्यरत है। उस समय समिति के 35 सदस्य हुआ करते थे। जो कि आज सदस्यों की संख्या 85 है। यह समिति शुरू से ही रजिस्ट्रड है। समिति के सराहनीय कार्यो को देखते हुए 26 जनवरी को जिला प्रशासन के सहयोग से उपमुख्यमंत्री दुष्यंत द्वारा सम्मानित भी किया गया है। समिति के सदस्य विंग बनाकर कार्य करते है। प्रथम विंग में समृद्ध सदस्यों द्वारा आर्थिक रूप से सहयोग किया जाता है। दुसरी विंग में वैचारिक रूप से सामाजिक बुराईयों,नशामुक्ति, शिक्षा व अन्य बारे लोगों को समय-समय पर जागरूक किया जाता है। समिति द्वारा छात्रों के पढने के लिए तीन लाईब्रेरी बनाई गई है। इन लाईब्रेरियों में प्रतियोगिक पुस्तकें, स्टेशनरी व अन्य जरूरी आधुनिक सुविधा है। इसके अलावा लाला जनकराज के सहयोग से बनाई जाने वाली लाईब्रेरी के लिए एक भवन का निर्माण करवाया जा रहा है। समिति हर वर्ष 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंन्द्र बोस की जयन्ती पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है। जिसमें समिति व गांव के अन्य लोगों द्वारा रक्तदान किया जाता है। इसी प्रकार 15 अगस्त को खेलों का आयोजन भी समिति द्वारा किया जाता है। समिति द्वारा गांव के बेरोजगार युवाओं का पढाई में रूझान बढाने के लिए हरियाणा स्टाफ सलैक्शन लेवल की परीक्षाओं का आयोजन करवाया गया। जिसमें लगभग 500 बच्चों ने भाग लिया था और परीक्षा में अव्वल रहे 50 बच्चों को नकद पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया गया। इस कार्य के लिए गांव के महंत राजनाथ द्वारा विशेष किया गया।
पर्यावरण को सुधारने के लिए समिति कर रही विशेष कार्य
समिति के सदस्यों का मानना है कि पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है और बरगद व नीम का वृक्ष औषधि गुण मे अपरम्पार है। इसलिए संस्था द्वारा इन तीनों उपयोगी पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगाया जाता। जिला वन मंडल अधिकारी के सहयोग से समिति द्वारा पर्यावरण व जीव-जंतुओं की सुरक्षा के लिए गांवों में 251 त्रिवेणी लगाई गई। इसके अलावा समिति द्वारा 25 हजार फल व छायादार पौधे भी विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए व इतने ही पौधे अन्य लोगों को बांटे गए। और प्रण लिया कि इसमें से अधिकाधिक पौधों को बडा होने तक इनकी देखभाल की जाएगी।